क्या नेपाल में प्राकृतिक आपदाओं ने 52 लोगों की जान ली?

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क्या नेपाल में प्राकृतिक आपदाओं ने 52 लोगों की जान ली?

सारांश

नेपाल में पिछले तीन दिनों में प्राकृतिक आपदाओं ने 52 लोगों की जान ले ली है। जानिए इस त्रासदी के पीछे की वजहें और इससे प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति। क्या नेपाल इस संकट से उबर सकेगा?

Key Takeaways

  • 52 लोगों की मौत प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई है।
  • 7 लोग लापता हैं और 27 लोग घायल हैं।
  • पूर्वी इलम जिले में भूस्खलन से 38 लोगों की मृत्यु हुई।
  • बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है।
  • बाढ़ और भूस्खलन ने जल विद्युत परियोजनाओं को प्रभावित किया है।

काठमांडू, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल में पिछले तीन दिनों में प्राकृतिक आपदाओं के चलते 52 लोगों की जान चली गई। यह जानकारी सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) के एक अधिकारी ने दी।

एपीएफ के प्रवक्ता महानिदेशक कालीदास धौबाजी ने रविवार शाम को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में मानसून के कारण उत्पन्न आपदाओं में 52 लोग मारे गए हैं। इसके साथ ही 7 लोग लापता हैं और 27 लोग घायल हैं।

उन्होंने बताया कि अकेले पूर्वी इलम जिले में भूस्खलन से 38 लोगों की मृत्यु हुई।

मानवीय नुकसान के अलावा, नेपाल को भूस्खलन और बाढ़ के कारण बुनियादी ढांचे को भी भारी क्षति का सामना करना पड़ा है।

नेपाल में निजी क्षेत्र के बिजली उत्पादकों के संगठन, इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईपीपीएएन) के अनुसार, बाढ़ और भूस्खलन से 18 जलविद्युत परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं। इनमें से 13 चालू और 5 निर्माणाधीन परियोजनाएं शामिल हैं, जिससे बिजली उत्पादन में बाधा आई है।

आईपीपीएएन ने जानकारी दी है कि 13 परियोजनाएं, जिनकी कुल क्षमता 105.4 मेगावाट है, विभिन्न बुनियादी ढांचों को हुए नुकसान के कारण बंद हैं। नेपाल, जो जलविद्युत क्षमता में समृद्ध है, हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं के कारण इस महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को खतरे में डाल रहा है।

ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई मंत्रालय के अनुसार, हाल ही की बारिश के कारण विभिन्न क्षेत्रों में नदी तट का कटाव, बाढ़ और जलप्लावन हुआ, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 1,500 मीटर तटबंधों का क्षरण हुआ। मंत्रालय ने लगभग 100 मिलियन रुपये का प्रारंभिक नुकसान होने का अनुमान लगाया है।

मंत्रालय के अनुसार, बाढ़ के कारण कुछ सिंचाई परियोजनाएं भी जलमग्न हो गईं।

जल विज्ञान और मौसम विभाग के अनुसार, लगातार बारिश के कारण बागमती, त्रिशूली, पूर्वी राप्ती, लालबकैया और कमला जैसी कई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया था, लेकिन अब यह धीरे-धीरे कम हो रहा है।

इसी तरह, सप्तकोशी नदी का जलस्तर रविवार दोपहर तक खतरे के स्तर से ऊपर था, और इसकी सहायक नदियां भी खतरे के निशान को पार कर गई थीं, लेकिन अब इनका जलस्तर भी घट रहा है।

कोशी नदी, जिसे अक्सर बिहार का दुख कहा जाता है, मानसून के दौरान बिहार में बाढ़ और जलभराव के कारण भारत के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई है।

इस बीच, गृह मंत्रालय के अधीन मानसून प्रतिक्रिया कमान ने रविवार को मृतकों के परिवारों को तत्काल राहत प्रदान करने, मानसून से प्रभावित और विस्थापित व्यक्तियों के लिए बचाव, राहत और पुनर्वास कार्य जारी रखने का निर्णय लिया।

Point of View

NationPress
05/10/2025

Frequently Asked Questions

नेपाल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण कितनी मौतें हुई हैं?
नेपाल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण हाल ही में 52 लोगों की जान गई है।
बाढ़ और भूस्खलन से किन क्षेत्रों पर असर पड़ा है?
बाढ़ और भूस्खलन से नेपाल के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पूर्वी इलम जिले में, बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है।
आईपीपीएएन का इस स्थिति पर क्या कहना है?
आईपीपीएएन के अनुसार, बाढ़ और भूस्खलन से 18 जलविद्युत परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं।