क्या पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने गिलगित-बाल्टिस्तान में राहत कार्यों की निंदा की?

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क्या पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने गिलगित-बाल्टिस्तान में राहत कार्यों की निंदा की?

सारांश

पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ ने गिलगित-बाल्टिस्तान में राहत कार्यों की स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। मानवाधिकार आयोग ने इस संकट के प्रति गहरी चिंता दिखाई है। जानें, क्यों यह स्थिति इतनी चिंताजनक है और किस प्रकार सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

Key Takeaways

  • बाढ़ के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान में राहत कार्यों की गंभीर स्थिति।
  • विस्थापित परिवारों को सुरक्षित आश्रय और सेवाओं की कमी।
  • महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगों की उपेक्षा।
  • सरकार को पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता।
  • जलवायु न्याय उपायों का स्कूली पाठ्यक्रम में समावेश।

इस्लामाबाद, १३ सितंबर (राष्ट्र प्रेस) - पाकिस्तान में आई भयानक बाढ़ के परिणामस्वरूप, कई मानवाधिकार संगठनों ने गिलगित-बाल्टिस्तान में राहत कार्यों की अत्यंत चिंताजनक स्थिति पर गहरा चिंता व्यक्त की है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि बाढ़, भूस्खलन और हिमनद झीलों के फटने के कारण, समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों को सबसे अधिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

शुक्रवार को गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) द्वारा आयोजित एक आउटरीच बैठक में सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि विस्थापित परिवार असुरक्षित आश्रय स्थलों में रहने को मजबूर हैं। उन्हें न तो स्वच्छ पानी, बिजली और स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं और न ही शिक्षा की सुविधा।

उन्होंने महिलाओं, बच्चों, दिहाड़ी मजदूरों, दिव्यांगों और ट्रांसजेंडर लोगों की उपेक्षा पर ध्यान आकर्षित किया। बैठक में यह भी बताया गया कि आपदा प्रभावित लोगों के लिए बनाए गए राहत कोष में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है।

एचआरसीपी के अनुसार, बैठक में मौजूद लोगों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि गिलगित-बाल्टिस्तान में आपदा प्रतिक्रिया को समावेशी, पारदर्शी और आदरपूर्ण होना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, संवेदनशील परिवारों की सुरक्षा, उचित मुआवजे और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों से पुनर्वास का आह्वान किया गया। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सुझाव दिया कि पुनर्नवीनीकरण, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर रोक, और आपदा तैयारी जैसे जलवायु न्याय उपायों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।

इससे पहले, बुधवार को एचआरसीपी ने कहा था कि ये आपदाएं अब केवल 'प्राकृतिक' नहीं, बल्कि मानव निर्मित हैं, जो खराब योजना, भूमि अधिग्रहण, वनों की कटाई, भ्रष्टाचार, और जलवायु निष्क्रियता से प्रेरित हैं। मानवाधिकार संस्था ने कहा कि इस संकट के लिए राज्य और उसके बाद पाकिस्तानी सरकारों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

मानवाधिकार संस्था द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "बचाव और राहत अभियान जारी रहने के बावजूद, एचआरसीपी इस बात पर जोर देता है कि इन प्रयासों का तत्काल विस्तार किया जाना चाहिए और अधिक बचाव दल तैनात किए जाने चाहिए। प्रभावित लोगों के पास भोजन, आश्रय, स्वच्छ पेयजल, और चिकित्सा सेवाओं की समान पहुंच होनी चाहिए। साथ ही अधिक राहत शिविर स्थापित किए जाने चाहिए।"

एचआरसीपी ने सबसे कमजोर तबकों - महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों पर विशेष ध्यान देने की वकालत की।

Point of View

मैं यह कह सकता हूँ कि इस स्थिति में हमें मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता है। प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम और राहत कार्यों में प्रभावशीलता को सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
NationPress
13/09/2025

Frequently Asked Questions

गिलगित-बाल्टिस्तान में बाढ़ से प्रभावित लोगों की स्थिति क्या है?
गिलगित-बाल्टिस्तान में बाढ़ से प्रभावित लोग असुरक्षित आश्रय स्थलों में रहने को मजबूर हैं, और उन्हें स्वच्छ पानी, बिजली, और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
मानवाधिकार आयोग ने इस स्थिति पर क्या कहा है?
मानवाधिकार आयोग ने राहत कार्यों की स्थिति पर गहरा चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राहत कोष में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है।