क्या भारत और ऑस्ट्रेलिया मानव रहित एयरक्राफ्ट सिस्टम बनाने में सहयोग पर सहमत हुए?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- भारत और ऑस्ट्रेलिया ने मानव रहित एयरक्राफ्ट सिस्टम (यूएएस) में सहयोग पर सहमति जताई।
- बैठक में आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर चर्चा हुई।
- दोनों देशों ने क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
- भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ऑस्ट्रेलियाई युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि दी।
- दोनों पक्षों ने नई तकनीक के उपयोग का मुकाबला करने में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
कैनबरा, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने शुक्रवार को कैनबरा में सेना-से-सेना स्टाफ वार्ता का समापन किया। इस वार्ता में जल-थल-स्थल संचालन और मानव रहित एयरक्राफ्ट सिस्टम (यूएएस) में सहयोग के नए क्षेत्रों की खोज पर ध्यान केंद्रित किया गया।
भारतीय सेना के अलावा, लोक सूचना महानिदेशालय (एडीजीपीआई) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया, "भारत-ऑस्ट्रेलिया सेना-से-सेना स्टाफ वार्ता 29-31 अक्टूबर 2025 तक कैनबरा में आयोजित की गई। चर्चा का मुख्य विषय बढ़ते सेना-से-सेना सहयोग और जल-थल अभियानों तथा मानव रहित विमान प्रणालियों में सहयोग के नए क्षेत्रों की तलाश थी। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ऑस्ट्रेलियाई युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और रॉयल मिलिट्री कॉलेज डंटरून का दौरा किया।"
गुरुवार को, दोनों देशों ने कैनबरा में आतंकवाद निरोध पर संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) की 15वीं बैठक भी संपन्न की। इसमें कट्टरपंथ और आतंकवाद का मुकाबला करने के सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई।
बैठक के दौरान, दोनों देशों के अधिकारियों ने उभरते घरेलू, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद परिदृश्य पर विचार-विमर्श किया और आतंकवाद निरोध, कानून प्रवर्तन, न्यायिक सहयोग और समुद्री सुरक्षा में सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
विदेश मंत्रालय (एमईए) के बयान के अनुसार, बैठक की सह-अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (आतंकवाद-रोधी) विनोद बहाडे और ऑस्ट्रेलिया की आतंकवाद-रोधी राजदूत जेम्मा हगिंस ने की।
विदेश मंत्रालय ने कहा, "दोनों पक्षों ने पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए जघन्य आतंकवादी हमले की निंदा की और ऑस्ट्रेलियाई पक्ष ने भारत के प्रति अपना समर्थन और एकजुटता दोहराई।"
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, "दोनों पक्षों ने आतंकवाद का मुकाबला करने में चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता को स्वीकार किया। दोनों पक्षों ने आतंकवादी उद्देश्यों के लिए नई और उभरती हुई तकनीक के उपयोग का मुकाबला करने हेतु समय पर सूचना साझा करने और ठोस कार्रवाई में सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया। इसके साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने में सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।"
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                             
                             
                             
                            