क्या उत्तरदाताओं ने जापान से थाईवान मुद्दे पर संपूर्ण और सटीक जवाब देने की अपील की?
सारांश
Key Takeaways
- 91.4% उत्तरदाताओं ने जापान की आलोचना की।
- 91.6% लोगों ने स्पष्ट उत्तर की मांग की।
- जापान का रुख यूएन चार्टर का उल्लंघन माना गया।
- सर्वेक्षण में 90.7% लोगों ने जापान के लगातार रुख की पुष्टि की।
- जापान द्वारा क्षेत्रीय तनाव की निंदा की गई।
बीजिंग, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हाल ही में चाइना मीडिया ग्रुप के अंतर्गत सीजीटीएन ने वैश्विक नेटिजनों के बीच थाईवान मुद्दे पर जापान के रुख के संदर्भ में एक सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के नतीजों के अनुसार, 91.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने थाईवान मुद्दे पर जापान की स्थिति की आलोचना की और जापान से एक ईमानदार देश के कर्तव्य को निभाने और ठोस कदम उठाकर चीन और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ किए गए वादे का पालन करने की अपील की। 91.6 प्रतिशत लोगों ने जापान से थाईवान मुद्दे पर अपने विचारों के स्पष्ट और सटीक उत्तर देने की मांग की।
ध्यान रहे, काहिरा घोषणा पत्र समेत विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय कानूनी दस्तावेजों ने थाईवान पर चीन की संप्रभुता की पुष्टि की है। 1972 में चीन-जापान संयुक्त घोषणा में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि जापान सरकार मानती है कि चीन लोक गणराज्य ही चीन की एकमात्र वैध सरकार है। चीन सरकार दोहराती है कि थाईवान चीन लोक गणराज्य का एक अभिन्न अंग है। जापान सरकार इस बात को पूरी तरह से समझती है और इसका समर्थन करती है। इसके बाद, जापान सरकार ने दोनों देशों के बीच हुए समझौतों और बयानों में इस रुख को बनाए रखने का वादा किया।
सीजीटीएन के इस सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 90.7 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उपरोक्त मुद्दा थाईवान पर जापान का निरंतर रुख है, जिसका पालन किया जाना चाहिए।
इस सर्वेक्षण में 90.7 प्रतिशत लोगों का मानना है कि जापान ने जो चीन के खिलाफ बल प्रयोग का संकेत दिया है, वह यूएन चार्टर का गंभीर उल्लंघन है। 91.7 प्रतिशत लोगों ने जापान की निरंतर बातचीत और कार्यों पर निराशा व्यक्त की। 81.7 प्रतिशत लोगों ने जापान द्वारा जानबूझकर क्षेत्रीय तनाव उत्पन्न करने की कड़ी निंदा की।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)