क्या अमेरिका भारत के खिलाफ सख्त रुख अपनाकर जोखिम उठा रहा है?

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क्या अमेरिका भारत के खिलाफ सख्त रुख अपनाकर जोखिम उठा रहा है?

सारांश

क्या अमेरिका का भारत के खिलाफ सख्त रुख उसे एक महत्वपूर्ण साझेदार से अलग कर सकता है? जानें कैसे भारतीय अर्थव्यवस्था ने ट्रंप के टैरिफ के बावजूद मजबूती दिखाई है।

Key Takeaways

  • भारत की अर्थव्यवस्था ने टैरिफ के बावजूद मजबूती दिखाई है।
  • अमेरिका का सख्त रुख, महत्वपूर्ण साझेदार को अलग कर सकता है।
  • भारतीय घरेलू खपत जीडीपी का 68 प्रतिशत है।
  • एप्पल का भारत में निवेश बढ़ रहा है।
  • टैरिफ से व्यापार तनाव बढ़ रहा है।

नई दिल्ली, 31 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का निर्णय एक रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से गलत साबित हुआ है। कुल 50 प्रतिशत टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने मजबूती दिखाई है।

वन वर्ल्ड आउटलुक के एक लेख के अनुसार, टैरिफ संबंधी उथल-पुथल के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने अप्रैल-जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत की उच्च वृद्धि हासिल की है। यह ट्रंप के भारत की अर्थव्यवस्था को “मृत” या कमजोर बताने के विचार के विपरीत है।

'दंड' के रूप में लगाए गए इस भारी टैरिफ के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने पांच तिमाहियों में उच्च विकास दर प्राप्त की है। यह बाहरी व्यापार विवादों से परे अंतर्निहित मजबूती का संकेत है।

इस लेख में कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि अन्य उभरते बाजारों की तरह निर्यात आधारित नहीं है, क्योंकि इसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 68 प्रतिशत हिस्सा घरेलू खपत से आता है, जिसमें घरेलू और सरकारी खर्च शामिल हैं।

'एप्पल' जैसी वैश्विक कंपनियां भारत में विनिर्माण निवेश को बढ़ा रही हैं, जो इसके मजबूत बाजार और क्षमताओं में विश्वास को दर्शाता है। नतीजतन, अमेरिका का दबावपूर्ण रुख इसे एक ऐसे महत्वपूर्ण साझेदार से अलग-थलग कर सकता है, जो आर्थिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

एंड्रयू विल्सन के लेख में यह भी कहा गया है कि उभरती आर्थिक वास्तविकताएं ऐसी नीतियों की आवश्यकता को दर्शाती हैं, जो भारत की विकास गतिशीलता को पहचानें। अमेरिका-भारत साझेदारी को पारस्परिक लाभ के लिए स्थापित करना चाहिए, न कि कलह को बढ़ावा देना चाहिए।

हालांकि, अमेरिकी कंपनियों से भारत के संबंध कम करने और अमेरिका में निर्माण करने के ट्रंप के आह्वान के बावजूद, एप्पल ने एक अलग दृष्टिकोण अपनाया है।

बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच, चीन से दूर अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने के लिए एप्पल ने व्यापक रणनीति अपनाई है। एप्पल भारत में अपने आईफोन उत्पादन क्षमताओं का विस्तार करने के लिए लगभग 2.5 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है।

इस तरह के कदम भारत के विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र, कौशल उपलब्धता और नीतिगत माहौल में कॉर्पोरेट विश्वास को दर्शाते हैं, जो अमेरिकी कंपनियों में भारतीय श्रम या प्रभाव को सीमित करने के ट्रंप के बयानों का खंडन करते हैं।

लेख में कहा गया है कि द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को कम करने से अमेरिका की पहुंच तेजी से बढ़ते बाजार और एक ऐसे साझेदार तक सीमित हो सकती है, जो अमेरिकी आर्थिक और तकनीकी शक्तियों का पूरक है।

लेख के अनुसार, भारी शुल्क लगाने और दंडात्मक रुख के कारण, ट्रंप प्रशासन रणनीतिक रूप से भारत संग अपने संबंधों को नुकसान पहुंचाने का जोखिम उठा रहा है। भारत न केवल एक आर्थिक महाशक्ति है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक साझेदार भी है।

अमेरिकी टैरिफ भारत में हजारों निर्यातकों और नौकरियों के लिए खतरा है। यह तनाव बढ़ा रहा है और दोनों देशों के बीच अविश्वास को बढ़ा रहा है। व्यापार और निवेश पर बातचीत और सहयोग से संबंधों को मजबूत करने के बजाय, अमेरिका का टकराव वाला यह रवैया भारत को चीन या रूस जैसी अन्य वैश्विक शक्तियों के करीब ला सकता है।

लेख में आगे कहा गया है कि दीर्घकालिक जोखिमों में अमेरिका की भू-राजनीतिक क्षमता में कमी और प्रौद्योगिकी सह-विकास, आपूर्ति शृंखला विविधीकरण और सेवा व्यापार जैसे क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों का चूकना शामिल है।

Point of View

मेरा मानना है कि हमें हमेशा अपने देश के आर्थिक हितों की रक्षा करनी चाहिए। अमेरिका के टैरिफ का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है, लेकिन हमें अपने संबंधों को मजबूत करने के विकल्पों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
NationPress
01/09/2025

Frequently Asked Questions

अमेरिका का भारत पर टैरिफ लगाने का क्या असर होगा?
यह भारतीय निर्यातकों और नौकरियों के लिए खतरा है, और तनाव बढ़ा सकता है।
क्या भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है?
हाँ, भारत की अर्थव्यवस्था ने टैरिफ के बावजूद 7.8 प्रतिशत की वृद्धि की है।
क्या अमेरिका-भारत संबंधों में सुधार की संभावना है?
यदि दोनों देश सहयोग को प्राथमिकता देते हैं, तो संबंधों में सुधार संभव है।