क्या ट्रंप पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सुलह कराने में सफल होंगे?
सारांश
Key Takeaways
- ट्रंप की पहल से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच वार्ता की उम्मीद बढ़ी है।
- सीजफायर समझौता संघर्ष को कम करने का एक प्रयास है।
- उल्लंघनों की स्थिति पर ध्यान देने के लिए चार-पक्षीय चैनल की स्थापना हो सकती है।
नई दिल्ली, २७ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने की इच्छा जताई है। उन्होंने थाईलैंड और कंबोडिया के बीच युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर के संदर्भ में यह बात कही।
राष्ट्रपति ट्रंप का दावा है कि उन्होंने अब तक सात युद्धों को रोकने में सफलता प्राप्त की है। इसी प्रयास के तहत, वे पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में, दोहा में दोनों देशों के बीच सीजफायर समझौता हुआ था, लेकिन इसके बावजूद हिंसक झड़पें जारी हैं।
सीजफायर के दौरान यह तय हुआ था कि स्थिति पर निगरानी रखने के लिए नियमित बैठकें आयोजित की जाएंगी। अगली बैठक तुर्किए में होने की योजना है। हालांकि, दोनों पक्षों के बीच प्रस्तावों पर असहमति के कारण स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
कतर और तुर्किए अब भी यह सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं कि बातचीत द्वारा समस्या का समाधान निकले। युद्धविराम समझौते के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक चार-पक्षीय चैनल स्थापित करने का सुझाव दिया गया है।
टोलो न्यूज के अनुसार, काबुल के प्रतिनिधिमंडल ने एक मसौदा प्रस्ताव इस्लामाबाद के प्रतिनिधिमंडल को सौंपा है। इसी तरह का प्रस्ताव पाकिस्तान की ओर से भी भेजा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान ने पाकिस्तान से मांग की है कि वह उसके हवाई क्षेत्र और भूमि सीमाओं का उल्लंघन नहीं करे और इस्लामाबाद को विपक्षी समूहों को अफगानिस्तान के खिलाफ अपने क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
वहीं, पाकिस्तान के डॉन न्यूज के अनुसार, सुरक्षा अधिकारियों ने कहा है कि इस्लामाबाद के प्रतिनिधिमंडल ने काबुल के प्रतिनिधियों के सामने अपनी अंतिम स्थिति पेश कर दी है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अफगानिस्तान को चेतावनी दी है कि समझौते पर न पहुंचने का अर्थ होगा खुला युद्ध। आसिफ ने दोहा वार्ता में पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था।