क्या 2025 में लिडिया थॉर्प से नादिया मुराद तक, महिलाओं ने राजनीति की नई इबारत लिखी?
सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं का सक्रिय विरोध सियासत में नए आयाम स्थापित कर रहा है।
- समानता के अधिकार के लिए संघर्ष जारी है।
- राजनीतिक मंचों पर महिलाओं की आवाज को प्रमुखता मिल रही है।
- न्यूक्लियर ऊर्जा पर महिलाओं का रुख महत्वपूर्ण है।
- मानवाधिकार की आवाज को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। 2025 वैश्विक राजनीति में महिलाओं के लिए केवल सत्ता का साल नहीं रहा, बल्कि प्रतीकात्मक विरोध, निजी जीवन को सार्वजनिक मंच पर लाने और परंपरागत सत्ता-भाषा को चुनौती देने का भी वर्ष बना। इस वर्ष महिला नेताओं के कुछ ऐसे क्षण सामने आए जिन्होंने विचारों को नयी दिशा दी।
4 फरवरी 2025 को ऑस्ट्रेलिया की सीनेटर लिडिया थॉर्प ने कैनबरा के पार्लियामेंट हाउस में प्रो-न्यूक्लियर प्रेस कॉन्फ्रेंस में घुसकर जोरदार हंगामा किया। यहां जबरदस्ती घुसीं सीनेटर चिल्लाईं- "ऑस्ट्रेलिया में परमाणु ऊर्जा को लेकर आपके पास कोई अनुमति नहीं है। आप अपने बच्चों के बच्चों को जहर दे रहे हो!"
उन्होंने न्यूक्लियर एनर्जी को आदिवासी भूमि और पर्यावरण के लिए खतरा बताया, विशेषकर 'एयूकेयूएस' डील और न्यूक्लियर वेस्ट के संदर्भ में। यह हंगामा प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने से ठीक पहले हुआ, और वीडियो वायरल हो गया। विरोधियों ने इसे पब्लिसिटी स्टंट करार दिया।
नाइजीरिया में इस वर्ष 'वी आर ऑल नताशा' कैंपेन ने सभी का ध्यान खींचा। सांसद नताशा अकपोटी-उडुआघन ने सीनेट प्रेसिडेंट गॉडस्विल अकपाबियो पर यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया, जिससे देशभर में विरोध प्रदर्शन और बहस छिड़ गई।
28 फरवरी 2025 को, नताशा ने टीवी इंटरव्यू में इसका खुलासा किया। फिर मार्च 2025 में नताशा ने सीनेट में याचिका डाली, लेकिन एथिक्स कमिटी ने इसे रिजेक्ट कर दिया। अगले दिन सीनेट ने नताशा को 6 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया। आधिकारिक वजह उनके 'अशिष्ट व्यवहार' को बताया गया। नताशा ने इसे बदला करार दिया। इसके बाद महिला अधिकार समूहों, सिविल सोसाइटी और महिलाओं ने जोरदार विरोध किया और 'वी आर ऑल नताशा' कैंपेन चलाया।
24 नवंबर 2025 को ऑस्ट्रेलिया की धुर दक्षिणपंथी सीनेटर पॉलीन हैंसन ने संसद में बुर्का पहनकर प्रवेश किया। यह उनका स्टंट था, क्योंकि संसद ने सार्वजनिक स्थलों पर बुर्का पहनने और पूरे चेहरे को ढकने को लेकर पेश किए जा रहे बिल को पेश करने से इनकार कर दिया था।
हैंसन ने कहा कि अगर बुर्का बैन नहीं करना है तो उन्हें पहनने दिया जाए – यह महिलाओं पर दमन और सिक्योरिटी रिस्क का प्रतीक है। इसे लेकर संसद में खूब हंगामा मचा। सत्र डेढ़ घंटे तक सस्पेंड रहा क्योंकि हैंसन ने बुर्का उतारने से मना कर दिया।
मुस्लिम सीनेटर्स जैसे फातिमा पैमन (हिजाब पहनने वाली पहली सांसद) और मेहरीन फरूकी ने इसे "नस्लवाद," "इस्लामोफोबिक," और "मुस्लिमों का अपमान" बताया। 25 नवंबर 2025 को संसद ने हैंसन को 7 दिनों के लिए निलंबित कर दिया।
वहीं, 22 सितंबर 2025 को संयुक्त राष्ट्र आम सभा में हाई-लेवल मीटिंग में नादिया मुराद ने समानता के अधिकार और हिंसाग्रस्त इलाकों में यौन हिंसा पर जोरदार भाषण दिया। उन्होंने कहा कि सिर्फ याद करना पर्याप्त नहीं है, एक्शन चाहिए। अगली पीढ़ी को केवल वादे नहीं, बल्कि न्याय, समानता और गरिमा की हकीकत मिलनी चाहिए।
यह भाषण महिलाओं पर अत्याचार पर केंद्रित था। नादिया मुराद याजीदी मानवाधिकार कार्यकर्ता, नोबेल पीस प्राइज (2018) विजेता और आईएसआईएस के यौन उत्पीड़न की शिकार रही हैं।
दिसंबर 2025 में, वेनेजुएला की लोकतंत्र समर्थक नेता मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार मिला, और यह भी काफी चर्चित रहा। पुरस्कार मिलने के बाद उन्होंने ट्रंप को धन्यवाद दिया और कहा कि यह उन्हें समर्पित है। उन्हें वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही के खिलाफ शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए सम्मानित किया गया था।