क्या बांग्लादेश के पूर्व मंत्री मोहिबुल चौधरी ने खालिदा जिया को याद किया?
सारांश
Key Takeaways
- खालिदा जिया की अनुपस्थिति बांग्लादेश की राजनीति को प्रभावित कर सकती है।
- मोहिबुल चौधरी ने उन्हें सोफ्ट आवाज कहा।
- जिया ने महिला उत्थान और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।
- उनकी विदेश नीति में यथार्थवाद था।
- कट्टरपंथियों के बढ़ते प्रभाव के बीच जिया की कमी महसूस होगी।
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश के पूर्व मंत्री मोहिबुल चौधरी ने पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया को एक समझदार नेता माना, जो समय की नब्ज को समझती थीं। उन्होंने उल्लेख किया कि आज जब कट्टरपंथियों का प्रभाव बांग्लादेश की राजनीति में बढ़ रहा है, तो निश्चित रूप से जिया की अनुपस्थिति महसूस होगी।
मंगलवार को राष्ट्र प्रेस से एक विशेष बातचीत में पूर्व मंत्री ने जिया को ‘राइट विंग की सॉफ्ट आवाज’ कहा। बांग्लादेश अवामी लीग के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के करीबी चौधरी ने जिया के कार्यकाल में महिला उत्थान और उनकी जियोपॉलिटिक्स के बारे में अपने विचार साझा किए।
सवाल: बेगम खालिदा जिया के निधन पर आपकी राय क्या है?
मोहिबुल चौधरी: मेरे अनुसार, बेगम खालिदा जिया बांग्लादेश के राइट-विंग नेताओं की सबसे सॉफ्ट आवाज थीं। जब वह राइट-विंग राजनीति का नेतृत्व कर रही थीं, तो उन्होंने जियोपॉलिटिक्स और दोनों देशों के संबंधों को लेकर कट्टर सोच की सीमाओं को समझा। जमात-ए-इस्लामी जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन के बावजूद, वह कट्टरपंथियों को नियंत्रण में रखने में सफल रहीं, जिससे बांग्लादेश एक धार्मिक तंत्र बनने से बच गया। उनके जाने का असर बांग्लादेश की राजनीतिक व्यवस्था पर बहुत अधिक होगा, विशेष रूप से जब कट्टरपंथियों का प्रभाव बढ़ रहा है।
सवाल: आने वाली पीढ़ियों के लिए उनकी राजनीतिक विरासत को कैसे याद किया जाएगा?
मोहिबुल चौधरी: आज के कई युवा शायद उनके पहले कार्यकाल को पूरी तरह से याद न करें, जो कि 1991 में सैन्य शासन से लोकतंत्र में परिवर्तन के दौरान था। गरीबी, प्राकृतिक आपदाओं और राजनीतिक विरोध के बावजूद, उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बनाए रखा और इसे लोकतांत्रिक मजबूती की दिशा में बढ़ाया। उन्होंने महिला उत्थान को प्राथमिकता दी, लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित की, और धार्मिक पार्टियों के साथ गठबंधन करते हुए भी बुनियादी कल्याणकारी अधिकारों से समझौता नहीं किया। उन्हें एक मजबूत लेकिन व्यावहारिक नेता के रूप में याद किया जाएगा जो लोकतांत्रिक संतुलन में विश्वास रखती थीं।
सवाल: वर्तमान बांग्लादेशी राजनीतिक माहौल में उनकी भूमिका क्या रही?
मोहिबुल चौधरी: ऐसे समय में जब बांग्लादेश एक अस्तित्व से जुड़ी राजनीतिक चुनौती का सामना कर रहा है, उनके अनुभव, उम्र और सियासी समझ से बीएनपी और अवामी लीग के बीच मेल-मिलाप कराने में मदद मिल सकती थी। उनकी अनुपस्थिति से मेल-मिलाप और मुश्किल हो गया है, लेकिन कई लोग अब भी उम्मीद करते हैं कि उनकी मूल भावना में राजनीतिक संवाद का दौर जारी रहेगा।
सवाल: आप खालिदा जिया के प्रति शेख हसीना के दृष्टिकोण को कैसे देखते हैं?
मोहिबुल चौधरी: राजनीतिक दुश्मनी और कानूनी चुनौतियों के बावजूद, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने खालिदा जिया के साथ इंसानियत दिखाई। हसीना ने सुनिश्चित किया कि उन्हें अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, जिसमें विदेशी डॉक्टरों द्वारा इलाज भी शामिल है। शेख हसीना के पहले के फैसलों के कारण खालिदा जिया की सेहत में सुधार हुआ।
सवाल: बेगम खालिदा जिया के भारत के साथ संबंध कैसे थे?
मोहिबुल चौधरी: उनके राजनीतिक गठबंधनों ने कभी-कभी भारत-बांग्लादेश रिश्तों को चुनौती दी, लेकिन खालिदा जिया खुद बांग्लादेश की जियोपॉलिटिकल स्थिति को समझती थीं। उन्होंने हमेशा भारत के साथ स्थिर रिश्तों के लिए काम किया। 2015 में, उन्होंने भारतीय नेतृत्व से संपर्क किया, ताकि सहयोग और राजनीतिक जुड़ाव को बढ़ावा मिल सके। वह विदेश नीति में यथार्थवादी थीं।