क्या नेपाल की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने बिपिन जोशी के निधन पर शोक व्यक्त किया?

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क्या नेपाल की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने बिपिन जोशी के निधन पर शोक व्यक्त किया?

सारांश

नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने बिपिन जोशी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। जोशी का शव हमास ने इजरायल को सौंपा था। उनके बलिदान को याद करते हुए देश उनके योगदान को भुला नहीं पाएगा। जानिए इस घटना के पीछे की पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • बिपिन जोशी का निधन एक दुखद घटना है।
  • प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने उनके बलिदान को याद किया।
  • जोशी का शव हमास ने इजरायल को सौंपा।
  • जोशी की कहानी अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा है।
  • नेपाल सरकार ने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।

काठमांडू, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने बुधवार को नेपाली नागरिक बिपिन जोशी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। 2023 से हमास के कब्जे में रहे जोशी का शव हमास ने इजरायल को सौंप दिया था।

कार्की ने एक्स पर लिखा, "दो वर्षों की अटूट आशा और प्रार्थनाओं के बीच बिपिन जोशी के दुखद निधन की खबर सुनकर मैं स्तब्ध हूं। इस हृदय विदारक समाचार ने हमें गहरा दुःख पहुंचाया है। इस कठिन समय में, मैं उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं और शोकाकुल परिवार व रिश्तेदारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं।"

टाइम्स ऑफ इजरायल के अनुसार, 23 वर्षीय जोशी, 7 अक्टूबर के हमलों से ठीक 25 दिन पहले, सितंबर 2023 में 'लर्न एंड अर्न' कार्यक्रम के तहत इजरायल पहुंचे थे, जहां वे किबुत्ज अलुमिम में अध्ययन और कार्य कर रहे थे।

उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए, कार्की ने कहा, "बिपिन जोशी सिर्फ एक छात्र नहीं थे; वे उन हजारों नेपाली युवाओं के लिए एक उज्ज्वल उदाहरण थे जो ज्ञान की तलाश में विदेश गए हैं। उनका जीवन उत्साह, दृढ़ता और दूसरों की मदद करने के विनम्र स्वभाव से भरा था। हम कामना करते थे कि वे सुरक्षित लौटें और नेपाल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दें।"

प्रधानमंत्री ने जोशी को "नेपाल का सपूत और शांति का समर्थक" बताया, जो "अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष का अमानवीय शिकार" बन गए।

उन्होंने कहा कि उनके अपहरण की खबर के बाद से, पूरा देश उनकी सुरक्षित रिहाई के लिए प्रार्थना कर रहा था, लेकिन उनकी मृत्यु की पुष्टि ने "पिछले दो वर्षों की हमारी सभी आशाओं और सपनों को चकनाचूर कर दिया है।"

कार्की ने हमास हमले के दौरान उनके साहस की सराहना करते हुए कहा, "वह अब हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन बंधक बनाए जाने से पहले अंतिम क्षणों में अभूतपूर्व साहस, बहादुरी और बलिदान दिखाकर उन्होंने कई अन्य दोस्तों की जान बचाई, जिसके लिए हम सभी उनके प्रति सदैव कृतज्ञ हैं। उनका यह वीरतापूर्ण कार्य उनके जीवन की सबसे बड़ी विरासत है, जो उन्हें नेपाली गौरव के प्रतीक के रूप में सदैव जीवित रखेगी। बिपिन जोशी की आत्मा को शांति मिले। राष्ट्र उनके बलिदान और बहादुरी को कभी नहीं भूलेगा।"

जब हमला हुआ, तब किबुत्ज अलुमिम में 16 अन्य नेपाली मौजूद थे। उनमें से दस मारे गए, पांच घायल हुए, और एक सुरक्षित बच निकलने में सफल रहा था।

मंगलवार को नेपाल के विदेश सचिव अमृत बहादुर राय ने इजरायली विदेश मंत्रालय के महानिदेशक ईडन बार ताल से फोन पर बातचीत की।

नेपाली विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इजरायली सरकार शोक संतप्त परिवार और नेपाल की सरकार व जनता के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती है।

इसमें आगे कहा गया है कि इजरायल ने जोशी के अवशेषों की स्वदेश वापसी के लिए पूरी सहायता का आश्वासन दिया है।

बयान में कहा गया है, "विदेश सचिव राय ने बंधकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतिम क्षण तक इजरायल सरकार और जनता के निरंतर प्रयासों के लिए उनकी हार्दिक सराहना की।"

राय ने यह भी पुष्टि की कि तेल अवीव स्थित नेपाल दूतावास को जोशी के पार्थिव शरीर को नेपाल वापस लाने में सहायता के लिए इजरायली अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया गया है।

Point of View

बल्कि पूरी मानवता के लिए एक गंभीर मामला है। बिपिन जोशी की मृत्यु ने उनके परिवार और देश के लोगों को गहरे दुःख में डाला है। इस दुखद घटना ने हमें याद दिलाया है कि संघर्ष के दौरान भी मानवीय मूल्यों को बनाए रखना कितना आवश्यक है।
NationPress
15/10/2025

Frequently Asked Questions

बिपिन जोशी कौन थे?
बिपिन जोशी एक नेपाली नागरिक थे जो 2023 में इजरायल गए थे।
उनका निधन कैसे हुआ?
उनका निधन हमास के कब्जे में हुआ और बाद में उनका शव इजरायल को सौंपा गया।
प्रधानमंत्री ने उनके बारे में क्या कहा?
प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने बिपिन जोशी को 'नेपाल का सपूत और शांति का समर्थक' बताया।
क्या नेपाल सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया दी?
हाँ, नेपाल सरकार ने शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
इजरायल ने क्या किया?
इजरायल ने जोशी के अवशेषों की स्वदेश वापसी के लिए सहायता का आश्वासन दिया है।