क्या पाकिस्तान में सरकारी अस्पतालों की स्थिति इतनी खराब है?

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क्या पाकिस्तान में सरकारी अस्पतालों की स्थिति इतनी खराब है?

सारांश

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एचआईवी के मामलों में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है। सरकारी अस्पतालों की स्थिति चिंताजनक है। क्या यह व्यवस्था की नाकामी का संकेत है? जानिए इस रिपोर्ट में अस्पतालों की जर्जर स्थिति और एचआईवी संकट के बारे में।

Key Takeaways

  • सरकारी अस्पतालों की स्थिति चिंताजनक है।
  • एचआईवी के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है।
  • झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या बढ़ रही है।
  • दवाओं की कमी और संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है।
  • संस्थागत भ्रष्टाचार की समस्याएं स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर रही हैं।

इस्लामाबाद, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में लगभग 4,000 बच्चे एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। यह आंकड़ा यूरोपियन टाइम्स की एक हालिया रिपोर्ट में उजागर किया गया है। इस रिपोर्ट ने सरकारी अस्पतालों की खस्ताहाल स्थिति की तस्वीर पेश की है। अब स्थानीय मीडिया भी सरकारी अस्पतालों की जर्जर व्यवस्था के बारे में चर्चा कर रहा है। सिंध के हैदराबाद के बड़े जिला अस्पताल की बदहाली का मुख्य कारण जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी बताई जा रही है।

रिपोर्टों के अनुसार, हैदराबाद स्थित जिला अस्पताल और शहर के सभी तालुका अस्पतालों में आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। जांच के लिए आवश्यक मशीनों की कमी के कारण मरीज तालुका स्तर की सुविधाओं पर भी नियमित लैब टेस्ट नहीं करवा पा रहे हैं। नतीजतन, मरीजों को निजी अस्पतालों और लैब का रुख करना पड़ रहा है, जहां उनसे प्रारंभिक चेक-अप के नाम पर हजारों रुपए लिए जा रहे हैं। यह जानकारी पाकिस्तानी अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' में प्रकाशित हुई है।

खराब स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाला नाका रोड पर बना ट्रॉमा सेंटर भी चालू नहीं हो सका है। इसका प्रभाव हैदराबाद के जिला अस्पताल पर पड़ा है, जहां पूरे सिंध से बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं। हालांकि, जिला अस्पताल में भी उपकरण खराब पड़े हैं और इलाज की सुविधाएं भी अपर्याप्त हैं।

वर्तमान में, हैदराबाद के जिला अस्पताल में केवल एक एमआरआई और एक सीटी स्कैन मशीन चालू है, जबकि अन्य डायग्नोस्टिक मशीनें महीनों से बंद पड़ी हैं। रिपोर्ट बताती है कि सिंध सरकार के भिट्टाई अस्पताल लतीफाबाद, गवर्नमेंट हॉस्पिटल कासिमाबाद, कोहसार हॉस्पिटल लतीफाबाद, गवर्नमेंट हॉस्पिटल प्रीताबाद, और गवर्नमेंट हॉस्पिटल हाली रोड सहित कई स्वास्थ्य इकाइयों में जांच की सुविधाएं और आवश्यक दवाएं नहीं हैं।

हाल ही में एक और रिपोर्ट सामने आई है जो लचर व्यवस्था की भयावह तस्वीर पेश करती है। यह एचआईवी के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी के साथ पाकिस्तान को एशिया-पैसिफिक देशों में दूसरे स्थान पर ला खड़ा करती है। पाकिस्तान में गहराता एचआईवी संकट न केवल एक मेडिकल इमरजेंसी है, बल्कि यह संस्थागत भ्रष्टाचार को भी उजागर करता है और वर्षों की अनदेखी, बेसिक स्वास्थ्य मानकों को लागू करने में विफलता और भ्रष्टाचार की मानवीय कीमत को भी दर्शाता है।

चौंकाने वाले आंकड़ों के जरिए बताया गया है कि कैसे एक ही सिरिंज का बार-बार इस्तेमाल और बिना नियम के ब्लड ट्रांसफ्यूजन करते हुए मेडिकल नियमों का उल्लंघन किया गया है। यूरोपियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य अधिकारियों ने सिंध में 3,995 पंजीकृत एचआईवी-पॉजिटिव बच्चों की सूचना दी है; यह आंकड़ा केवल उन मामलों का है जिनका दस्तावेज मौजूद है। रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में सिंध के स्वास्थ्य मंत्री को एचआईवी संक्रमण के "बेहद चिंताजनक" प्रसार के बारे में बताया गया, और यह भी कि बच्चों की तादाद में इजाफा हो रहा है।

आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान में 600,000 से अधिक झोलाछाप डॉक्टर अपनी दुकान चला रहे हैं, जिनमें से 40 प्रतिशत कराची में हैं। यह आंकड़ा पाकिस्तान में मेडिकल लापरवाही की बढ़ती दर को दर्शाता है। अपर्याप्त निगरानी के कारण, ये नकली डॉक्टर बे-रोक टोक सिरिंज का दोबारा इस्तेमाल करते हैं, लापरवाही बरतते हैं, और असुरक्षित प्रक्रियाओं का पालन करते हैं जिससे एचआईवी तेजी से फैल रहा है।

पाकिस्तान में मौजूद कुछ एचआईवी ट्रीटमेंट सेंटरों में टेस्टिंग किट, एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी ने समस्या को और बड़ा बना दिया है। मरीजों को अक्सर परेशानी होती है क्योंकि उन्हें बेसिक देखभाल की तलाश में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाना पड़ता है।

यूरोपियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, "पाकिस्तान में गहराता एचआईवी संकट सिर्फ एक मेडिकल इमरजेंसी से कहीं ज्यादा है; यह संस्थागत भ्रष्टाचार का नतीजा है। यह सालों की अनदेखी, बेसिक हेल्थ स्टैंडर्ड्स को लागू करने में नाकामी, और भ्रष्टाचार की मानवीय कीमत को दिखाता है। सिंध में लगभग 4,000 एचआईवी-पॉजिटिव बच्चे, झोलाछाप डॉक्टर और दूषित मेडिकल उपकरणों का रोजाना इस्तेमाल, ये सब मिलकर सरकार की अनदेखी को दर्शाता है। यह किसी वायरस के चुपचाप फैलने की कहानी नहीं है; यह सिस्टम की नाकामी की कहानी है जो वायरस को पनपने देती है।

Point of View

यह स्थिति हमारे स्वास्थ्य प्रणाली की गंभीर समस्याओं को उजागर करती है। हमें इस संकट का समाधान खोजने के लिए सभी स्तरों पर प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। यह केवल एक चिकित्सा आपातकाल नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी भी है कि हम अपने नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

पाकिस्तान में एचआईवी के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं, झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या और दूषित मेडिकल उपकरणों का प्रयोग इसके प्रमुख कारण हैं।
सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी का क्या कारण है?
सरकारी अस्पतालों की खराब प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के कारण दवाओं की कमी हो रही है।
एचआईवी संक्रमण का इलाज कैसे किया जाता है?
एचआईवी संक्रमण का इलाज एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं के द्वारा किया जाता है, लेकिन कई बार इनकी उपलब्धता नहीं होती।
पाकिस्तान में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कैसे किया जा सकता है?
अधिक निवेश, बेहतर निगरानी, और चिकित्सा उपकरणों की उचित व्यवस्था से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया जा सकता है।
क्या सरकार इस समस्या को लेकर कोई कदम उठा रही है?
सरकार को इस गंभीर मुद्दे की पहचान करनी चाहिए और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।
Nation Press