क्या पाकिस्तान पर इंसेंटिव कम करने का दबाव बढ़ रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- आईएमएफ ने पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर का फंड दिया है।
- प्रोत्साहनों में कटौती से गैरकानूनी चैनल की ओर प्रवाह बढ़ सकता है।
- रेमिटेंस पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- पाकिस्तान को अपने वित्तीय प्रोत्साहनों में संतुलन बनाना होगा।
- विशेषज्ञों का मानना है कि रेमिटेंस का प्रभाव प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से अधिक है।
नई दिल्ली, 25 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को एक और किस्त प्रदान करते हुए 'कंगालिस्तान' को 7 अरब डॉलर का फंड दिया है। अब आईएमएफ ने पाक सरकार को आदेश दिया है कि वह विदेश से भेजे गए पैसे पर मिलने वाले प्रोत्साहनों पर खर्च कम करे। इस आदेश से पाक विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे पैसे का प्रवाह गैरकानूनी चैनलों की ओर वापस जा सकता है।
निक्केई एशिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषकों को यह चिंता है कि यदि प्रोत्साहनों में कटौती की जाती है, तो औपचारिक बैंकिंग चैनल कमजोर हो सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप बैंकिंग प्रणाली में रेमिटेंस, हवाला और हुंडी जैसे गैरकानूनी नेटवर्क का विस्तार हो सकता है।
आईएमएफ ने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के 7 बिलियन डॉलर के बेलआउट प्रोग्राम का दूसरा रिव्यू जारी किया है। इसमें आईएमएफ ने कहा है कि पाकिस्तान को प्रोत्साहनों पर खर्च कम करना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रॉस-बॉर्डर भुगतान की लागत कम करने से सरकार द्वारा दी जाने वाली प्रोत्साहनों की आवश्यकता कम हो जाएगी। पाकिस्तान रेमिटेंस में आने वाली बाधाओं और लागतों का आकलन करने और एक कार्य योजना तैयार करने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही, यह प्रोत्साहनों के लिए वित्तीय सहायता को भी काफी कम कर रहा है।
रेमिटेंस पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान को लगभग 38 बिलियन डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त हुआ, जो कि इसकी 32 बिलियन डॉलर की निर्यात कमाई से अधिक था। सरकारी चैनल से भेजे गए पैसे पर बैंकों और एक्सचेंज कंपनियों को कैश रिबेट देकर प्रोत्साहन दिया जाता है।
ये लाभ आमतौर पर बेहतर एक्सचेंज रेट या छोटे बोनस के रूप में विदेश में रहने वाले पाकिस्तानी लोगों को दिए जाते हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में भारी व्यापार घाटे के कारण पाकिस्तान का भुगतान संतुलन दबाव में है।
हालांकि, मजबूत रेमिटेंस प्रवाह ने देश को लगभग 2 बिलियन डॉलर का छोटा करंट अकाउंट सरप्लस रिकॉर्ड करने में मदद की है। फिर भी, विदेशी पूंजी प्रवाह के अन्य स्रोत कमजोर बने रहे हैं, और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लगभग 2 बिलियन डॉलर है। इस कारण से, मुद्रा को समर्थन देने और विदेशी मुद्रा संकट को रोकने के लिए रेमिटेंस अत्यंत आवश्यक हो गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की तुलना में रेमिटेंस का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा प्रभाव है।