क्या पाकिस्तान बलूचों को 'आतंकवाद' के आरोपी रिश्तेदारों से दूर रहने की ताकीद कर रहा है?

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क्या पाकिस्तान बलूचों को 'आतंकवाद' के आरोपी रिश्तेदारों से दूर रहने की ताकीद कर रहा है?

सारांश

क्वेटा में बलूचिस्तान सरकार के एक निर्देश ने मानवाधिकार संगठनों में हड़कंप मचा दिया है। इस आदेश के तहत परिवारों को आतंकवादियों से संबंध तोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन का मामला है। जानिए इस विवाद के पीछे की कहानी और इसके प्रभावों के बारे में।

Key Takeaways

  • बलूचिस्तान में परिवारों को आतंकवादियों से दूर रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
  • मानवाधिकार संगठनों ने इसे उल्लंघन बताया है।
  • यह आदेश अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करता है।
  • सरकार की नीति मानवता के खिलाफ अपराध दर्शाती है।
  • पाकिस्तानी सेना पर बलूचिस्तान में दमन का आरोप है।

क्वेटा, 21 सितम्बर (राष्ट्र प्रेस)। एक मानवाधिकार संगठन ने बलूचिस्तान सरकार के हालिया आदेश की कड़ी निंदा की है, जिसके तहत परिवारों को 'आपराधिक मुकदमा चलाने, संपत्ति जब्त करने और राज्य के लाभ वापस लेने' की धमकी देकर 'आतंकवाद' के आरोपियों से संबंध तोड़ने के लिए शपथ पत्र देने के लिए मजबूर किया गया है।

बलूचिस्तान मानवाधिकार परिषद (एचआरसीबी) ने इस पर एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा, "यह आदेश अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और मानवीय कानूनों का सीधा उल्लंघन करते हुए सामूहिक दंड का प्रावधान करता है।" व्यक्तियों के कथित कार्यों के लिए पूरे परिवार को अपराधी ठहराने का प्रयास करके, राज्य न केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी और उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा है, बल्कि एक ऐसी नीति भी अपना रहा है जो मानवता के विरुद्ध अपराध दर्शाती है।

एचआरसीबी ने कहा कि यह निर्देश घृणित है।

संगठन के अनुसार, पीड़ित परिवारों को पाकिस्तानी सेना और फ्रंटियर कोर के पास रिपोर्ट करने के लिए मजबूर करना "जानबूझकर अपमान, जबरदस्ती और मनोवैज्ञानिक यातना" का कार्य है। ये वही संस्थाएं हैं जिन पर बलूचिस्तान में जबरन लोगों को गायब करने का आरोप है।

एचआरसीबी ने कहा कि ये फरमान मानवाधिकारों का उल्लंघन है। इसके जरिए मासूम नागरिकों और पीड़ितों को निशाना बनाया जा रहा है जबकि इसकी जिम्मेदार पाकिस्तानी अधिकारी हैं।

मानवाधिकार संस्था ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार तंत्र और कानूनी विशेषज्ञों से इस "कठोर और गैरकानूनी नीति" की स्पष्ट रूप से निंदा करने का आग्रह किया।

एचआरसीबी ने कहा, "यह जरूरी है कि इस कदम को उसके वास्तविक रूप में पहचाना जाए: यह इंटरनेशनल कॉवनेंट ऑन सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स (आईसीसीपीआर) और कंवेंशन अगेंस्ट टॉर्चर (सीएटी) सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत पाकिस्तान के दायित्वों का घोर उल्लंघन है।"

मानवाधिकार संस्था ने इस बात पर भी जोर दिया कि परिवारों को प्रताड़ित करने और सामूहिक दंड को संस्थागत बनाने के बजाय, पाकिस्तानी सरकार को "बलूचिस्तान में जबरन गुमशुदगी को रोकने, उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने और कानून के शासन को बनाए रखने" के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

एचआरसीबी ने आगे कहा, "इससे कम कुछ भी दमन के एक चक्र को जारी रखेगा जो पूरी आबादी पर राज्य द्वारा स्वीकृत उत्पीड़न के बराबर हो सकता है।"

बलूचिस्तान के लोग वर्तमान में पाकिस्तान से अपनी आजादी के लिए लड़ रहे हैं।

बलूचिस्तान के विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने बार-बार प्रांत में पाकिस्तानी सेना की ओर से किए जा रहे दमन को उजागर किया है, जिसमें बलूच नेताओं और नागरिकों के घरों पर हिंसक छापे, गैरकानूनी गिरफ्तारियां, जबरन गायब करने को लेकर अध्यादेश और मनगढ़ंत पुलिस मामले दर्ज करना शामिल है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी सरकार के लिए एक गंभीर मुद्दा है। बलूचिस्तान में हो रहे घटनाक्रमों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि प्रभावित परिवारों को न्याय मिल सके। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जाए।
NationPress
21/09/2025

Frequently Asked Questions

इस आदेश का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस आदेश का मुख्य उद्देश्य बलूचिस्तान में आतंकवाद के आरोपियों से परिवारों को दूर रखना है।
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया क्या है?
मानवाधिकार संगठनों ने इस आदेश को गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन बताया है और इसकी निंदा की है।
क्या यह आदेश अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है?
जी हां, यह आदेश अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन करता है।
बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का क्या हाल है?
बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति चिंताजनक है, जहां नागरिकों पर लगातार दमन हो रहा है।
क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस पर प्रतिक्रिया दी है?
जी हां, मानवाधिकार समूहों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस नीति की निंदा करने का आग्रह किया है।