क्या पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइंस का निजीकरण सही है? रक्षा मंत्री ने नौकरशाही को जिम्मेदार ठहराया
सारांश
Key Takeaways
- पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का निजीकरण हुआ है।
- रक्षा मंत्री ने नौकरशाही को जिम्मेदार ठहराया।
- आईएमएफ का दबाव प्रमुख कारण है।
- आरिफ हबीब कॉर्पोरेशन ने बोली में जीत हासिल की।
- सरकार ने आर्थिक सुधार के लिए निजीकरण का निर्णय लिया।
नई दिल्ली, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अब पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की देखरेख निजी हाथों में होगी। यह निर्णय लिया जा चुका है, जिसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। इस बीच, रक्षा मंत्री और देश के एविएशन प्रमुख ख्वाजा आसिफ ने जो बयान दिया है, वह उनके आत्मविश्वास की कमी को उजागर करता है। वहीं, सरकार के दो प्रतिनिधियों ने भी जनता को अफवाहों से दूर रहने की सलाह दी है।
आसिफ ने बुधवार को जियो न्यूज के शो में कहा कि पब्लिक सेक्टर में जो गिरावट देखने को मिल रही है, उसके लिए ब्यूरोक्रेसी यानी नौकरशाही जिम्मेदार है और उन्हें ही जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि इसके लिए राजनेताओं को दोषी ठहराया जाता है।
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पूर्व विमानन मंत्री गुलाम सरवर खान के बयान का भी हवाला दिया, जिसमें खान ने पायलटों के फर्जी या संदिग्ध लाइसेंस का आरोप लगाया था।
बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के निजीकरण पर हो रही आलोचनाओं का जवाब देते हुए, प्रधानमंत्री के प्राइवेटाइजेशन सलाहकार मुहम्मद अली ने कहा कि इस कदम से राष्ट्रीय गौरव को कोई नुकसान नहीं होगा।
केंद्रीय सूचना मंत्री अत्ता तरार के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में, मुहम्मद अली ने कहा कि सोशल मीडिया पर यह दावा कि एयरलाइन को उसके विमानों की कीमत से कम में बेचा गया है, गलत और भ्रामक है।
यह टिप्पणियां पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) की एक सफल प्राइवेटाइजेशन बोली के एक दिन बाद आई हैं, जिसमें आरिफ हबीब कॉर्पोरेशन के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम ने नेशनल कैरियर में 75 फीसदी हिस्सेदारी के लिए 135 अरब रुपये की बोली लगाई।
आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने मंगलवार को पीआईए में 75 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी। डेडलाइन से ठीक 2 दिन पहले, सेना से जुड़ी एक खाद कंपनी, फौजी फर्टिलाइजर प्राइवेट लिमिटेड, ने बोली लगाने से अपना नाम वापस ले लिया, जिसके बाद केवल 3 दावेदार बचे रहे।
एयरलाइंस के निजीकरण का मुख्य कारण आईएमएफ का दबाव है। पाकिस्तान को आईएमएफ से 7 अरब डॉलर का लोन चाहिए। इसके बदले, आईएमएफ चाहता है कि पाकिस्तान घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों को निजीकरण करे। इस शर्त के तहत, पाकिस्तान अपनी 24 सरकारी कंपनियों को प्राइवेट कर रहा है, जिसमें पीआईए भी शामिल है।