क्या पाकिस्तान में कानूनी प्रणाली संकट में है, हवाला से क्रिप्टो का जाल बढ़ रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- अनौपचारिक अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है।
- हवाला और क्रिप्टो के माध्यम से पैसे का आदान-प्रदान हो रहा है।
- सरकारी प्रक्रियाएँ धीमी और कठोर हो गई हैं।
- पाकिस्तान को हर साल अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है।
- शैडो इकोनॉमी अब असली सिस्टम बन चुकी है।
नई दिल्ली, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान इस समय एक गंभीर मोड़ पर है, जहाँ एक ओर उसकी औपचारिक अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर रही है, वहीं दूसरी ओर अंडरग्राउंड अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है। यह जानकारी पाकिस्तान के समाचार पत्र डेली टाइम्स में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में दुबई में सक्रिय हवाला नेटवर्क, कराची और पेशावर से संचालित टेलीग्राम क्रिप्टो ग्रुप और एक-कमरे वाले फर्जी “एक्सपोर्ट हाउस” के माध्यम से आईटी इनवॉइस का वितरण शामिल है। इसके अलावा अरबों रुपयों का रियल एस्टेट, गोल्ड, ऑफशोर वॉलेट और डबल बिलिंग से संबंधित व्यापार भी इस जाल में शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था इतनी तेजी से बढ़ रही है कि औपचारिक सुधार इसे नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं।
वित्तीय विशेषज्ञ जवाद सलीम ने कहा है कि लोग कानून तोड़ने की चाह से नहीं, बल्कि इसलिए औपचारिक प्रणाली को छोड़ रहे हैं क्योंकि सरकारी प्रक्रियाएँ धीमी, कठोर और अनिश्चित हो गई हैं। इसके विपरीत, गैर-कानूनी तरीके अधिक तेज और सरल हैं। सच्चाई यह है कि लोग अवैध तरीकों की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि सरकार ने वैध तरीकों से काम करना आर्थिक रूप से हानिकारक बना दिया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि किसी पाकिस्तानी निर्यातक को बैंक से पैसा मंगवाने में 3 से 5 दिन का समय लगाना पड़े, तो वह स्वाभाविक रूप से हवाला एजेंट को चुनता है, जो बिना कागजी कार्रवाई के तुरंत भुगतान कर देता है। इसी तरह, एक सॉफ्टवेयर फ्रीलांसर, जिसे आधिकारिक भुगतान प्राप्त करने के लिए कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, क्रिप्टो वॉलेट को प्राथमिकता देगा जहाँ पैसा तुरंत और बिना जांच के उपलब्ध हो जाता है।
ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान हर साल इन तरीकों से अरबों डॉलर का नुकसान उठा रहा है, जिसका सीधा प्रभाव पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, पाकिस्तान को टैक्स में होने वाला नुकसान जीडीपी के 6 प्रतिशत से अधिक है, जो देश के वार्षिक रक्षा बजट से भी अधिक है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जब पैसा बैंकों से बाहर रहता है, तो जमा राशि कम होती है, निजी क्षेत्र को कर्ज मिलना घटता है, और सरकार को मजबूरन बैंकों से अधिक उधार लेना पड़ता है।
अब यह शैडो इकोनॉमी केवल छिपी हुई व्यवस्था नहीं रह गई है, बल्कि यह असली सिस्टम बन चुकी है।
-- राष्ट्र प्रेस
दुर्गेश बहादुर/एबीएस