क्या पाकिस्तान ने महरंग बलूच की हिरासत को गलत ठहराया?

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क्या पाकिस्तान ने महरंग बलूच की हिरासत को गलत ठहराया?

सारांश

पाकिस्तान की अदालत ने मानवाधिकार कार्यकर्ता महरंग बलूच की हिरासत को गलत ठहराया है। बीवाईसी ने आरोपों को मनगढ़ंत बताया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और उसके पीछे की सच्चाई।

Key Takeaways

  • महरंग बलूच को बिना सबूत के हिरासत में रखा गया था।
  • अदालत ने आरोपों को मनगढ़ंत बताया।
  • मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर दबाव बनाने का बड़ा पैटर्न है।
  • न्याय की प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।
  • सभी नागरिकों के लिए न्याय की आवश्यकता है।

क्वेटा, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान की एक अदालत ने मानवाधिकार कार्यकर्ता महरंग बलूच को नौ महीने से बिना किसी ठोस सबूत के हिरासत में रखने पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस पर बलूच यकजेहती कमेटी (बीवीईसी) ने अपनी मुख्य आयोजक समेत अन्य लोगों को न छोड़े जाने पर कड़ी आपत्ति जताई।

गुरुवार को मानवाधिकार संस्था ने कहा कि कराची की आतंक विरोधी कोर्ट (एटीसी) ने बीवाईसी चीफ को एक केस में बरी कर दिया, जिसके बारे में अदालत ने कहा कि यह "कानूनी तौर पर मनगढ़ंत, बेबुनियाद और किसी भी मान्य सबूत पर आधारित नहीं है।"

हालांकि, इस फैसले से कोई राहत नहीं मिली क्योंकि महरंग बलूच, अन्य बीवाईसी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ, कई "मनगढ़ंत" मामलों में लंबे समय से हिरासत में हैं। यह बरी होना एक खोखला वादा प्रतीत होता है और इससे मानवाधिकार से जुड़ी गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं।

बीवाईसी के अनुसार, महरंग बलूच के खिलाफ अक्टूबर में लगाए गए देशद्रोह और सार्वजनिक स्थल पर अशांति फैलाने के आरोपों को बिना किसी सच्चाई के और कानूनी तौर पर टिकने लायक नहीं माना गया।

मानवाधिकार संस्था द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "कराची के मलिर जिले के कायदाबाद पुलिस स्टेशन में 11 अक्टूबर, 2024 को रजिस्टर किया गया यह केस, मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक सबूत भी नहीं जुटा पाया। अदालत ने पाया कि जांच के रिकॉर्ड में बलूच को किसी भी अपराध से जोड़ने वाली कोई भरोसेमंद सामग्री नहीं थी और आतंक रोधी एक्ट या पाकिस्तान पीनल कोड के तहत कानूनी सजा देने के लिए कोई पर्याप्त सबूत नहीं था।"

बीवाईसी ने कहा कि अपने लिखित आदेश में, अदालत ने माना कि "आरोपी के किसी भी अपराध में शामिल होने या उसके दोषी ठहराए जाने की कोई संभावना नहीं है," यह स्पष्ट करते हुए कि आरोप "बिना सबूत के थे, जांच को ईमानदारी से पूरा नहीं किया गया था, और क्रिमिनल लॉ का स्पष्ट रूप से गलत इस्तेमाल किया गया था।"

बलूच और संगठन के अन्य नेताओं को लंबे समय तक हिरासत में रखने पर मानवाधिकार संगठन ने कहा, "जरूरी बात यह है कि महरंग बलूच और उनके साथियों के खिलाफ फाइल किए गए अन्य केस भी इसी तरह बड़े पैमाने पर मनगढ़ंत माने जाते हैं, जो बिना सबूत के आरोपों और राजनीति से प्रेरित दावों के उसी पैटर्न का अनुसरण करते हैं।"

संगठन ने इस बात पर जोर दिया कि यह पैटर्न एक बड़े और चिंताजनक ट्रेंड को दर्शाता है जिसमें पाकिस्तानी अधिकारी कानूनी और आतंकवाद विरोधी ढांचे का उपयोग मानवाधिकार रक्षकों के खिलाफ "दबाव" बनाने के लिए करते हैं, जबकि उन्हें इसका उपयोग न्याय और आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए।

बीवाईसी ने कहा, "सबूत के बिना फर्जी आरोपों पर भरोसा करना अभियोजक के विवेक का गलत इस्तेमाल है। ये सही प्रक्रिया की संवैधानिक गारंटी को कमजोर करते हैं, और कानून के राज के बुनियादी सिद्धांतों के लिए खतरनाक हैं।"

Point of View

NationPress
05/12/2025

Frequently Asked Questions

महरंग बलूच का मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह मामला मानवाधिकारों के उल्लंघन और राजनीतिक दुरुपयोग का एक स्पष्ट उदाहरण है।
पाकिस्तान में मानवाधिकार स्थिति कैसी है?
पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति चिंताजनक है, और कार्यकर्ताओं को अक्सर दंडित किया जाता है।
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