क्या पाकिस्तानी सेना का घमंड देश के लिए खतरा बनता जा रहा है?

Click to start listening
क्या पाकिस्तानी सेना का घमंड देश के लिए खतरा बनता जा रहा है?

सारांश

पाकिस्तान की सेना के घमंड और उसकी आंतरिक राजनीति पर एक नई रिपोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं, जिसमें कहा गया है कि जनरलों का आत्मविश्वास देश की स्थिरता के लिए खतरा है। क्या यह घमंड पाकिस्तान के विकास को बाधित कर रहा है? जानिए इस रिपोर्ट में क्या कहा गया है।

Key Takeaways

  • पाकिस्तानी सेना का घमंड देश की स्थिरता को खतरे में डालता है।
  • जनरलों का शान-शौकत की लत समाज की असलियत को छिपा देती है।
  • असीम मुनीर का फील्ड मार्शल बनना एक बीमारी की तरह है।
  • रावलपिंडी में असली शक्ति है, न कि इस्लामाबाद में।
  • नागरिकों को अपनी संप्रभुता वापस लेने की आवश्यकता है।

इस्लामाबाद, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। एक नई रिपोर्ट में शनिवार को उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान की सेना का घमंड न केवल बाहरी खतरों को बढ़ाता है, बल्कि आंतरिक रूप से भी नुकसानदायक है, क्योंकि जनरलों की शान-शौकत की लत उन्हें समाज की असली स्थिति से बेखबर कर देती है।

इंडिया नैरेटिव द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में इस मुद्दे पर गहराई से विचार किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, "असीम मुनीर का फील्ड मार्शल बनना और पाकिस्तान के राजनीतिक और संस्थागत परिदृश्य पर उनका लगातार दबदबा राष्ट्रीय ताकत का पुनर्जागरण नहीं, बल्कि एक बीमारी के समान है। सेना को अपने ऊपर घमंड है, और यह बड़प्पन का भ्रम देश की स्थिरता और प्रगति की क्षमता को बार-बार नुकसान पहुँचाता है।"

रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्व सेना प्रमुख अयूब खान, जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ के नक्शेकदम पर चलते हुए, मुनीर सेना के इस विश्वास का प्रदर्शन करते हैं कि मुक्ति लोकतंत्र या विकास में नहीं, बल्कि एक सेना के सुझाए राष्ट्रवाद में है जो सैनिक को नागरिक से ऊपर रखता है और व्यावहारिकता से ऊपर डर को रखता है।

इसमें कहा गया है, "पचहत्तर सालों से, पाकिस्तान के जनरलों ने खुद को एक कमजोर राज्य के देवदूत के रूप में पेश किया है, जो नागरिक अक्षमता से इसे 'बचाने' के लिए आते हैं। अयूब खान के तख्तापलट और जिया के इस्लामीकरण से लेकर मुशर्रफ के 'प्रबुद्ध संयम' तक, हर हस्तक्षेप को देशभक्ति की जरूरत के तौर पर सही ठहराया गया - और हर बार देश कमजोर, गरीब और अधिक आक्रामक होता गया।"

रिपोर्ट में इस बात पर बल दिया गया है कि राष्ट्रीय गौरव और इस्लामी दृढ़ता के बारे में बयानबाजी के पीछे, २०२५ में मुनीर का फील्ड मार्शल के पद पर पहुँचना नाटकीय रूप से यह साबित करता है कि असली शक्ति रावलपिंडी के जनरल हेडक्वार्टर के खाकी पर्दे के पीछे है।

इसमें कहा गया है, "मुनीर की खुद बनाई हुई छवि एक धर्मनिष्ठ जनरल - कुरान याद करने वाला और नैतिक संरक्षक - की है, जो धार्मिक-सैन्य राष्ट्रवाद में डूबे समाज में अच्छी लगती है। परंतु यह एक जरूरी सच्चाई को छिपाती है: कि पाकिस्तान के जनरल अपनी मानी हुई दिव्य नियति के नशे में, बार-बार व्यक्तिगत अधिकार को राज्य की ताकत समझ बैठे हैं। इसका परिणाम विचारधारा में लिपटे अधिनायकवाद का एक अंतहीन चक्र रहा है, जिससे राजनीतिक ठहराव और आर्थिक बर्बादी दोनों उत्पन्न हुई हैं।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुनीर के अधीन पाकिस्तान की त्रासदी उसकी दोहरी नीति में है - नाम का गणतंत्र लेकिन असल में एक छावनी, जिसमें सरकार केवल सेना की इच्छा के प्रशासनिक विस्तार के रूप में मौजूद है। न्यायपालिका "राष्ट्रीय सुरक्षा" की जरूरतों के दबाव में झुक जाती है, जबकि मीडिया लगातार घेराबंदी में रहता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुनीर की हालिया चालें - जिसमें २०३५ तक सत्ता में बने रहने के लिए दस साल का एक्सटेंशन प्लान भी शामिल है - यह दर्शाती हैं कि सेना को यकीन है कि "पाकिस्तान की मुक्ति" "संवैधानिक जवाबदेही" के बजाय "कमांड की निरंतरता" में है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "जब तक पाकिस्तान के नागरिक सेना से अपनी संप्रभुता वापस नहीं ले लेते, तब तक यह देश मिलिट्री के घमंड का एक दुखद थिएटर बना रहेगा - जहां जनरल साम्राज्य के सपने देखते हैं जबकि उनका देश कर्ज, निराशा और बर्बादी के बोझ तले दबा हुआ है। मुनीर का शासन, चाहे वह फील्ड मार्शल की शान से सजा हो, शायद जीत के लिए नहीं, बल्कि खोए हुए मौकों के लिए याद किया जाएगा - यह पाकिस्तान के सबसे लंबे, सबसे विनाशकारी भ्रम की निरंतरता है कि मुक्ति वर्दी पहनने में है।

Point of View

मेरा मानना है कि पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और सेना के व्यवहार को समझना अत्यंत आवश्यक है। देश की स्थिरता और विकास के लिए नागरिकों की आवाज को मजबूत करना आवश्यक है।
NationPress
25/10/2025

Frequently Asked Questions

पाकिस्तानी सेना का घमंड क्यों खतरनाक है?
पाकिस्तानी सेना का घमंड देश की स्थिरता को खतरे में डालता है, क्योंकि यह जनरलों को समाज की वास्तविकता से दूर कर देता है।
क्या रिपोर्ट में किसी विशेष जनरल का उल्लेख है?
हाँ, रिपोर्ट में असीम मुनीर का नाम लिया गया है, जो फील्ड मार्शल बने हैं।
इससे पाकिस्तान की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
इससे पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, विशेष रूप से सेना की भूमिका को लेकर।
क्या नागरिकों को इस स्थिति में कोई भूमिका निभानी चाहिए?
हाँ, नागरिकों को अपनी संप्रभुता वापस लेने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने की आवश्यकता है।
इस रिपोर्ट का मुख्य संदेश क्या है?
रिपोर्ट का मुख्य संदेश है कि पाकिस्तान की सेना का घमंड देश के विकास में बाधा बन रहा है।