क्या पेंटागन की कार्यसंस्कृति में बदलाव आ रहा है? रक्षा मंत्री हेगसेथ का बयान
सारांश
Key Takeaways
- पेंटागन में कार्यसंस्कृति में बदलाव हो रहा है।
- ट्रंप सरकार सेना में योद्धा भावना को पुनर्जीवित कर रही है।
- योग्यता-आधारित प्रणाली को कानूनी रूप दिया गया है।
- सेना की भर्ती में रिकॉर्ड वृद्धि हो रही है।
- समुद्री शक्ति और नई तकनीकों पर जोर दिया जा रहा है।
वाशिंगटन, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने बताया है कि पेंटागन की कार्यसंस्कृति में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाए जा रहे हैं। उनके अनुसार, ट्रंप सरकार फिर से अमेरिकी सेना में ‘योद्धा भावना’ को मजबूत कर रही है और 'पॉलिटिकल करेक्टनेस' जैसी नीतियों से दूर जा रही है।
सोमवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रीय सुरक्षा के उच्च अधिकारियों के साथ मार-ए-लागो में आयोजित एक प्रेस वार्ता में हेगसेथ ने कहा कि रक्षा विभाग अब योग्यता, तैयारी और दुश्मनों को रोकने की क्षमता पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, ताकि अमेरिका की सेना को फिर से मज़बूत किया जा सके।
उन्होंने कहा कि सरकार ने योग्यता-आधारित प्रणाली को कानूनी रूप दिया है और डीईआई तथा 'पॉलिटिकल करेक्टनेस' जैसी नीतियों को हटा दिया गया है।
हेगसेथ के अनुसार, इन निर्णयों का प्रभाव सेना की भर्ती और मनोबल पर स्पष्ट हो रहा है। उन्होंने कहा कि सेना में फिर से उत्साह
रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार सीमा, समुद्र और अंतरिक्ष जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी ताकत बढ़ाकर विरोधियों को रोकने की नीति पर कार्य कर रही है। उनके अनुसार, मजबूती ही टकराव को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है।
उन्होंने कहा कि जहाज निर्माण और नई तकनीकों में हो रहा निवेश यह दर्शाता है कि सरकार दीर्घकालिक सैन्य शक्ति को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाली पीढ़ियाँ इन फैसलों को निर्णायक मानेंगी।
हेगसेथ ने कहा कि समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक, हर क्षेत्र में नई रणनीतियों और आधुनिक तकनीकों को अपनाया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अमेरिकी सेना संभावित विरोधियों पर बढ़त बनाए रखे।
उन्होंने यह भी कहा कि समुद्री शक्ति अमेरिका के इतिहास में हमेशा महत्वपूर्ण रही है और राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में यह आगे भी निर्णायक बनी रहेगी।
हाल के वर्षों में सैन्य संस्कृति, विविधता नीतियों और तैयारी पर बहस तेज हो गई है। आलोचकों का कहना है कि गैर-लड़ाकू मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देने से सेना का मुख्य उद्देश्य कमजोर हुआ है।