क्या राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से मजबूत होंगे दोनों देशों के रिश्ते?

सारांश
Key Takeaways
- पुतिन की यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आएगी।
- यह यात्रा कूटनीतिक संवाद को बढ़ावा देगी।
- भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी में वृद्धि होगी।
- पिछली यात्रा की तुलना में यह यात्रा अधिक महत्वपूर्ण है।
- भारत और रूस के संबंधों में कोई बाहरी प्रभाव नहीं है।
मॉस्को, 7 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस महीने के अंत में भारत की यात्रा पर आ सकते हैं। यह जानकारी रूसी मीडिया ने दी है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के रूस दौरे के दौरान दिए गए बयान का हवाला दिया।
मॉस्को में रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु से मुलाकात के दौरान डोभाल ने कहा, "हमारे बीच अब बहुत अच्छे संबंध स्थापित हो चुके हैं, जिन्हें हम काफी महत्व देते हैं। यह एक रणनीतिक साझेदारी है। हम उच्च स्तर पर संवाद कर रहे हैं। हमें यह जानकर खुशी हुई कि राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा इस महीने के अंत में तय किया गया है।"
इससे पहले क्रेमलिन के सहायक यूरी उशाकोव ने भी पुष्टि की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर राष्ट्रपति पुतिन भारत आने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि यह वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक की परंपरा के तहत हो रहा है। उन्होंने कहा, "हमारे नेताओं के बीच हर साल मिलने का समझौता है। इस बार हमारी बारी है।"
गौरतलब है कि राष्ट्रपति पुतिन ने पिछली बार 6 दिसंबर 2021 को भारत का दौरा किया था, जब नई दिल्ली में 21वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था।
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले वर्ष दो बार रूस की यात्रा की थी। पहली जुलाई में 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में और दूसरी अक्टूबर में कजान में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी मार्च में आयोजित सम्मेलन ‘रूस और भारत: द्विपक्षीय संबंधों के लिए नया एजेंडा’ में पुतिन की भारत यात्रा की पुष्टि करते हुए कहा था, "भारत और रूस के बीच राजनीतिक संवाद तेजी से विकसित हो रहा है। हमारे नेताओं का इसमें बड़ा योगदान है। अब राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा की तैयारियां चल रही हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि "हमारे देशों के संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं और आज भी आपसी सम्मान और एक-दूसरे के हितों को ध्यान में रखते हुए समानता पर आधारित सहयोग जारी है।"
क्रेमलिन द्वारा जारी बयान में कहा गया था कि "रूसी और भारतीय संबंध रणनीतिक प्रकृति के हैं और किसी भी बाहरी प्रभाव से प्रभावित नहीं होते। ये सभी क्षेत्रों में गतिशील रूप से विकसित हो रहे हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस दौरान पुतिन को भारत आने के लिए आमंत्रित किया था, जिसे राष्ट्रपति पुतिन ने सहर्ष स्वीकार किया। हालांकि, राष्ट्रपति पुतिन के आमंत्रण के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी रूस में आयोजित विक्ट्री डे समारोह में शामिल नहीं हो सके थे।