क्या रूस ने ताइवान को फिर से चीन का अटूट हिस्सा बताया और 'ताइवान की स्वतंत्रता' का विरोध किया?
सारांश
Key Takeaways
- रूस ने ताइवान को चीन का अविभाज्य हिस्सा
- 'ताइवान की स्वतंत्रता' का विरोध
- रूस का दृष्टिकोण अपरिवर्तित है
- पीएलए की सैन्य योजनाएँ अमेरिका के खिलाफ हैं
- चीन का ताइवान पर दबाव बढ़ रहा है
मॉस्को, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूस ने ताइवान को चीन का एक अविभाज्य हिस्सा मानते हुए 'ताइवान की स्वतंत्रता' के किसी भी प्रकार के विरोध का प्रदर्शन किया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान के माध्यम से अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट किया।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, रूसी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि कुछ देश 'एक-चीन सिद्धांत' का पालन करने का दावा करते हुए स्थिति को बनाए रखने का समर्थन कर रहे हैं, जो कि चीन के राष्ट्रीय एकीकरण के सिद्धांत के खिलाफ है।
सिन्हुआ ने मंत्रालय के हवाले से बताया कि ताइवान मुद्दे का उपयोग वर्तमान में कुछ देशों द्वारा चीन के खिलाफ सैन्य और रणनीतिक घेराबंदी के एक उपकरण के रूप में किया जा रहा है। इसमें यह भी कहा गया है कि ताइवान मुद्दे पर रूस का सैद्धांतिक दृष्टिकोण स्पष्ट है, परिवर्तनशील नहीं है और इसे उच्चतम स्तर पर बार-बार पुष्टि की गई है।
बयान में आगे कहा गया है कि ताइवान मुद्दा चीन का आंतरिक मामला है और चीन के पास अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का हर वैध आधार है।
इस बीच, अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा कांग्रेस को सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ताइवान पर नियंत्रण पाने के लिए अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है और 2027 तक युद्ध के लिए तैयार होने का लक्ष्य रखता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने 2027 के लक्ष्यों की ओर 'निरंतर प्रगति' की है। उन लक्ष्यों में से एक ताइवान पर 'रणनीतिक निर्णायक जीत' हासिल करने की क्षमता है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि चीन अपनी सैन्य योजनाओं को संयुक्त राज्य अमेरिका की योजनाओं के अनुरूप ढालता है। पीएलए वाशिंगटन को 'मजबूत दुश्मन' के रूप में देखता है, जिसे हराने में सक्षम होना उसके लिए आवश्यक है।
ताइवान पर बीजिंग की रणनीति भी विकसित हो रही है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि चीन अब केवल स्वतंत्रता को रोकने पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहा है। इसके बजाय, यह बीजिंग की शर्तों पर एकीकरण को मजबूर करने के लिए ताइपे पर लगातार दबाव बना रहा है। इस दबाव में सैन्य गतिविधियाँ, कूटनीति, आर्थिक कदम और सूचना अभियान शामिल हैं। इसके अलावा, इन सभी उपकरणों का उद्देश्य एक साथ मिलकर ताइवान के प्रतिरोध को कमजोर करना है।