क्या सिख महिला का डिपोर्टेशन हिंदुस्तान के नागरिकों का अपमान है?

सारांश
Key Takeaways
- 73 वर्षीय हरजीत कौर का डिपोर्टेशन गंभीर मुद्दा है।
- पंजाब कांग्रेस ने इसे नागरिकों का अपमान बताया है।
- सरकार को इस मामले में जवाबदेही लेनी चाहिए।
- यह घटना समाज में मानवाधिकारों पर सवाल उठाती है।
- आव्रजन नीतियों में पारदर्शिता की आवश्यकता है।
चंडीगढ़, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। 73 वर्षीय सिख महिला को हथकड़ियों और बेड़ियों में बांधकर अमेरिका से भारत डिपोर्ट किए जाने पर सियासत में उबाल आ गया है। इस मुद्दे पर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस पर अपनी आवाज उठानी चाहिए और स्पष्ट करना चाहिए कि हम ऐसा बर्दाश्त नहीं करेंगे।
राजा वडिंग ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "किसी महिला को इस तरह से डिपोर्ट करना हिंदुस्तान के नागरिकों का अपमान है। प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर बोलना चाहिए और कहना चाहिए कि ऐसा हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्हें नागरिकों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां लगाकर ऐसे भेजना ठीक नहीं है, जैसे वे कोई क्रिमिनल हों।"
बातचीत में उन्होंने कहा, "पंजाब सरकार द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र पर हमें यह देखने की आवश्यकता है कि वे क्या दिखाना चाहते हैं। हम जानते हैं कि वे अपनी नाकामियों को छिपाना चाहते हैं। सरकार बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जनता का कहना है कि उन्होंने हमारे लिए कुछ नहीं किया है।"
उन्होंने यह भी कहा, "कांग्रेस पार्टी हमेशा मुद्दों पर बात करती है। हम जानना चाहते हैं कि एसडीआरएफ का पैसा कहां गया और किसने उसका उपयोग किया। कैग की रिपोर्ट कहती है कि सरकार के पास 9 हजार करोड़ रुपए थे, लेकिन पैसे कहां चले गए? ये सभी मुद्दे सदन में उठाए जाएंगे।"
ज्ञातव्य है कि पंजाब के मोहाली की रहने वाली 73 वर्षीय हरजीत कौर को अमेरिका से भारत डिपोर्ट किया गया है। वे लगभग 30 वर्षों से कैलिफोर्निया में अपने परिवार के साथ रह रही थीं, लेकिन कथित तौर पर दस्तावेजों की कमी के कारण उन्हें हिरासत में लेकर बिना परिवार से मिलने दिए ही हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़कर भारत भेज दिया गया।