क्या पाकिस्तान के सिंध में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति इतनी खराब है?
सारांश
Key Takeaways
- सिंध में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है।
- जिला अस्पतालों में सैकड़ों पद खाली हैं।
- ट्रॉमा सेंटर अभी तक स्थापित नहीं हो सके हैं।
- मरीजों को दूर-दूर के अस्पतालों में जाना पड़ता है।
- सरकार की योजनाएं अब तक कार्यान्वित नहीं हुई हैं।
इस्लामाबाद, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य केंद्रों की मौलिक व्यवस्था आज भी अत्यंत ख़राब है। 70 वर्षों के बाद भी जिला अस्पतालों में सैकड़ों पद खाली हैं और दुर्घटनाग्रस्त मरीजों के लिए ट्रॉमा सेंटर अब तक स्थापित नहीं हो सके हैं।
साल 2000 में सिंध के चार जिला अस्पतालों को डाउ मेडिकल कॉलेज से जोड़ा गया था, ताकि उन्हें टीचिंग हॉस्पिटल का दर्जा दिया जा सके। इस योजना के अनुसार, डाउ कॉलेज की फैकल्टी को जिला अस्पतालों में जाकर मरीजों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करनी थी, लेकिन यह अधिसूचना अभी तक कार्यान्वित नहीं हुई।
वर्तमान में जिला अस्पताल केवल सामान्य जांच और बुनियादी चिकित्सा तक सीमित हैं, जबकि दवाइयों का बजट सिंध सरकार से प्राप्त होता है। इन अस्पतालों में एमआरआई, सीटी स्कैन, पीईटी-टी और कलर डॉप्लर जैसी उन्नत डायग्नोस्टिक सुविधाओं की अनुपस्थिति है। इसके कारण मरीजों को सिविल हॉस्पिटल और जिन्ना पोस्टग्रेजुएट मेडिकल सेंटर जाना पड़ता है, जहाँ पहले से ही रोगियों की भीड़ है।
कराची के ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्र और मातृत्व होम भी आवश्यक सुविधाओं से वंचित हैं, जिससे रोगियों की समय पर जांच नहीं हो पाती और प्रमुख सरकारी अस्पतालों पर बोझ बढ़ता जा रहा है।
न्यू कराची के निवासी मोहम्मद असलम ने एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया कि गंभीर पीठ दर्द के मामले में डॉक्टर ने एमआरआई कराने की सलाह दी, लेकिन सिंध गवर्नमेंट न्यू कराची हॉस्पिटल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी। निजी डायग्नोस्टिक सेंटर ने एमआरआई के लिए 20,000 पाकिस्तानी रुपये की मांग की। असलम को उधार लेकर जांच करवानी पड़ी। उन्होंने बताया कि रीढ़ की सर्जरी के लिए कराची के किसी सरकारी अस्पताल में स्पाइन सर्जन उपलब्ध नहीं हैं।
सिंध गवर्नमेंट सउदाबाद हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट (एमएस) डॉ. आगा आमिर ने बताया कि अस्पताल में 180 बेड हैं लेकिन एमआरआई और सीटी स्कैन मशीनें नहीं हैं, क्योंकि इसे सेकेंडरी हॉस्पिटल की श्रेणी में रखा गया है।
उन्होंने कहा, “ट्रॉमा सेंटर और मनोरोग यूनिट की घोषणा की गई थी और लाखों रुपये की मशीनरी चार साल पहले खरीदी गई थी, लेकिन आज तक इसका उपयोग नहीं किया गया। मलिर जिले की आबादी 24 लाख है और सीटी या एमआरआई की आवश्यकता वाले मरीजों को जिन्ना या सिविल अस्पताल भेजना पड़ता है।”