क्या एफ-1 सिंगापुर ग्रां प्री को 'हीट हैजर्ड' घोषित किया गया?

सारांश
Key Takeaways
- सिंगापुर ग्रां प्री 2025 को 'हीट हैजर्ड' घोषित किया गया है।
- बढ़ते तापमान और नमी ड्राइवरों के लिए चुनौती बनी है।
- टीमों को कूलिंग वेस्ट उपलब्ध करानी होगी।
- यह नियम ड्राइवरों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
- कूलिंग सिस्टम हमेशा प्रभावी नहीं होता।
सिंगापुर, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। फॉर्मूला-1 की संस्था ने पहली बार सिंगापुर ग्रां प्री 2025 को "हीट हैजर्ड" अर्थात् अत्यधिक गर्मी वाली रेस के रूप में घोषित किया है। इसका कारण यहां का बढ़ता तापमान और उच्च नमी है, जो ड्राइवरों की शारीरिक क्षमता को चुनौती दे सकती है।
मौसम विभाग के अनुसार, तापमान 31 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है और नमी का स्तर भी काफी अधिक रहेगा। इसी कारण से एफआईए ने यह नियम बनाया है कि टीमों को अपने ड्राइवरों के लिए कूलिंग वेस्ट (ठंडी रखने वाली जैकेट) उपलब्ध करानी होगी। हालाँकि, इस जैकेट का उपयोग करना ड्राइवर की इच्छा पर निर्भर करेगा। यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि जो ड्राइवर इसे पहनें और जो नहीं पहनें, उनके बीच कार के वजन के कारण कोई असमानता न हो।
यह पहली बार है जब एफआईए ने इस नए हीट-हैजर्ड प्रावधान को लागू किया है, जिसे 2023 की कतर ग्रां प्री के बाद से लागू किया गया था, जब कई ड्राइवरों की तबीयत बिगड़ गई थी। उस समय, एस्टेबन ओकॉन ने रेस के दौरान हेलमेट में उल्टी की थी और लोगन सार्जेंट को रेस बीच में ही छोड़नी पड़ी थी।
ग्रां प्री ड्राइवर्स एसोसिएशन (जीपीडीए) के निदेशक, मर्सिडीज के ड्राइवर जॉर्ज रसेल ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि भले ही यह वेस्ट सबको आरामदायक न लगे, लेकिन जब कार के भीतर तापमान 60 डिग्री तक पहुंच जाता है और नमी 90 प्रतिशत होती है, तो यह मददगार साबित होती है।
विलियम्स टीम के कार्लोस सेंज ने भी इसे एक सही कदम बताया है। उन्होंने कहा कि केवल गर्मी या केवल नमी सहन करना इतना कठिन नहीं होता, लेकिन जब दोनों एक साथ होते हैं, तो स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
सिंगापुर ग्रां प्री को फॉर्मूला-1 की सबसे कठिन रेसों में से एक माना जाता है। यह लगभग दो घंटे तक चलती है, संकरी सड़कों पर होती है और अत्यधिक उमस भरे वातावरण में आयोजित की जाती है।
कूलिंग सिस्टम वास्तव में एक अग्निरोधक जैकेट होती है, जिसमें पतली ट्यूबें होती हैं। इन ट्यूबों में ठंडा तरल दौड़ता है ताकि ड्राइवर को राहत मिल सके। कॉकपिट का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है, और ड्राइवर हेलमेट और दस्तानों के साथ कई अग्निरोधक परतें भी पहनते हैं।
हालांकि, यह सिस्टम हमेशा प्रभावी नहीं होता। कई बार यह 20 मिनट में ही बेअसर हो जाता है और तरल गर्म होकर ड्राइवर को और भी असुविधा प्रदान करता है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, एस्टन मार्टिन के फर्नांडो अलोंसो ने कहा कि यह उपकरण प्रभावी है, लेकिन इसमें कुछ कमियां भी हैं। जैकेट मोटी हो जाती है और ड्राइविंग के दौरान असुविधा भी देती है। यानी थोड़ी राहत और थोड़ी परेशानी, दोनों एक साथ मिलती हैं।