क्या अमेरिका-दक्षिण कोरिया की उत्तर कोरिया नीति वास्तव में पुरानी वर्किंग ग्रुप से अलग है?

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क्या अमेरिका-दक्षिण कोरिया की उत्तर कोरिया नीति वास्तव में पुरानी वर्किंग ग्रुप से अलग है?

सारांश

दक्षिण कोरिया और अमेरिका की नई उत्तर कोरिया नीति पुराने ढांचे से अलग है। क्या ये बातचीत वास्तव में नई दिशा में अग्रसर है? जानें इस महत्वपूर्ण संवाद के बारे में।

Key Takeaways

  • नई नीति में पुरानी वर्किंग ग्रुप से विभिन्नता है।
  • सीधी बातचीत को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है।
  • मंत्रालयों के बीच मतभेद उत्पन्न हो गए हैं।

सोल, १७ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को यह दावा किया कि दक्षिण कोरिया और अमेरिका की उत्तर कोरिया नीति अब पुराने तरीके से नहीं चल रही है। उनकी हालिया बातचीत पूर्व मून जे-इन सरकार की शैली से भिन्न है।

दक्षिण कोरिया और अमेरिका उत्तर कोरिया पर चर्चा कर रहे हैं। ये बातचीत हाल में हुई है, और दोनों देश इसे पुरानी बातचीत से पूरी तरह अलग मानते हैं।

योनहाप न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने यह टिप्पणी तब की जब एकीकरण मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय और संबंधित अमेरिकी एजेंसियों के बीच मंगलवार को होने वाली बातचीत में शामिल न होने का निर्णय लिया। उनका मानना है कि ये बातचीत "प्योंगयांग के प्रति सोल के शांति प्रयासों में बाधा डाल सकती है।"

दोनों मंत्रालयों के बीच यह मतभेद तब सामने आया जब कई पूर्व एकीकरण मंत्रियों ने विरोधाभासी बयान जारी किए। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत २०१७-१९ में कार्यरत "वर्किंग ग्रुप" चैनल से मिलती-जुलती है और यह उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच संबंधों को सुधारने की कोशिश में केवल एक रुकावट बनेगी।

१६ दिसंबर २०२५ को सोल में दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय और अमेरिका के अधिकारियों की एक बैठक हुई। इसमें उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार छोड़ने के लिए मनाने और बातचीत शुरू करने के तरीकों पर चर्चा की गई।

२०१८ से २०२१ तक एक "वर्किंग ग्रुप" का गठन किया गया था, जिसमें अमेरिका, दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया की उत्तर कोरिया नीति पर ज्यादा नियंत्रण था। कई लोगों ने इसे नकारात्मक माना क्योंकि इससे दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच सीधी बातचीत में कठिनाई आती थी।

एक अधिकारी ने कहा, "दोनों देश मानते हैं कि यह नई बैठक पुरानी वर्किंग ग्रुप से भिन्न है। इसका उद्देश्य सिर्फ हाल की राष्ट्रपति सम्मेलन के समझौतों को लागू करना है। इसमें उत्तर कोरिया से बातचीत शुरू करने पर जोर दिया जा रहा है, न कि कड़े नियमों पर।"

मंत्रालय के अधिकारी ने पूर्व मंत्रियों के बयानों के बारे में कहा, "हम समझते हैं कि आलोचना हो रही है। हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए और इस तरह से प्रतिक्रिया देनी चाहिए जिससे गलतफहमी और आलोचना से बचा जा सके।"

दक्षिण कोरिया के एकता मंत्रालय (जो उत्तर-दक्षिण कोरिया मामलों को देखता है) ने इस बैठक में भाग नहीं लिया। उन्हें डर था कि यह फिर से पुरानी वर्किंग ग्रुप जैसी स्थिति में आ जाएगी। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने कहा कि सब कुछ ठीक है और दोनों देश एक साथ काम कर रहे हैं।

विदेश मंत्रालय ने मंगलवार की बैठक को "ज्वाइंट फैक्ट शीट पर फॉलो-अप बातचीत" बताया, जिससे स्पष्ट है कि बातचीत उत्तर कोरिया के मुद्दों पर सहयोगियों के बीच सम्मेलन में हुए समझौतों को लागू करने पर केंद्रित है।

Point of View

राष्ट्रीय दृष्टिकोण से, यह आवश्यक है कि दोनों देश उत्तर कोरिया के मुद्दे पर एकजुट होकर कार्य करें। हाल की बातचीत में नई संभावनाएं दिखती हैं, लेकिन हमें सावधानी से आगे बढ़ना होगा।
NationPress
17/12/2025

Frequently Asked Questions

दक्षिण कोरिया और अमेरिका की नई नीति में क्या बदलाव हैं?
नई नीति में पुराने वर्किंग ग्रुप से अलग दिशा पर बात की जा रही है, जिससे उत्तर कोरिया के साथ सीधी बातचीत को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
ये नई बातचीत कब हुई?
यह बातचीत १६ दिसंबर २०२५ को हुई थी।
क्या एकीकरण मंत्रालय ने बातचीत में भाग लिया?
नहीं, एकीकरण मंत्रालय ने बातचीत में भाग नहीं लिया क्योंकि उन्हें डर था कि यह पुरानी वर्किंग ग्रुप जैसी स्थिति में आ जाएगी।
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