क्या सूडान के एल फशर में आरएसएफ के ड्रोन हमले ने नागरिकों की जान ली?

सारांश
Key Takeaways
- आरएसएफ का ड्रोन हमला नागरिकों के लिए एक नई चुनौती है।
- सूडान में मानवीय संकट बढ़ रहा है।
- सुरक्षा बलों की कार्रवाई और उनकी चुनौतियाँ।
- स्थानीय संगठनों की प्रतिक्रिया और उनके प्रयास।
- राजनीतिक समाधान की आवश्यकता।
एल फशर, २ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिमी सूडान के एल फशर शहर में अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (आरएसएफ) द्वारा किए गए ड्रोन हमले में कम से कम आठ नागरिक
एल फशर की कोऑर्डिनेशन ऑफ रेसिस्टेंस कमेटीज़ नामक स्वयंसेवी समूह ने एक बयान में कहा, "नागरिक इलाकों पर मिलिशिया द्वारा तोपखाने और ड्रोन से हमले लगातार जारी हैं। आज का हमला अल-दराजा अल-औला मोहल्ले में नागरिकों की भीड़ को निशाना बनाकर किया गया, जिसमें आठ लोगों की जान गई और कई घायल हुए।"
एक चश्मदीद ने बताया, "मौके पर ही पांच लोग मारे गए, जबकि तीन अन्य ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। करीब १२ घायलों को एल फशर के सऊदी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।"
इस बीच, सूडानी सेना की छठी इन्फैंट्री डिवीजन ने एक बयान जारी कर कहा कि उनकी इकाइयों और सहयोगी बलों ने शहर में घुसपैठ की कोशिश कर रही आरएसएफ टुकड़ी को घेरकर मार गिराया। सेना के अनुसार, "हमले में बड़ी संख्या में विदेशी भाड़े के लड़ाके मारे गए, जिनमें ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजीनियर भी शामिल थे।"
सोशल मीडिया पर सेना समर्थित प्लेटफार्मों ने दक्षिणी एल फशर में मारे गए आरएसएफ लड़ाकों के शवों के वीडियो भी जारी किए हैं। हालांकि, आरएसएफ की ओर से इस घटना पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
गौरतलब है कि १० मई २०२४ से एल फशर में सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) और सहयोगी गुटों तथा आरएसएफ के बीच लगातार झड़पें हो रही हैं, जो हाल के दिनों में और तेज हो गई हैं।
अप्रैल २०२३ में भड़के गृहयुद्ध के बाद से सूडान में अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग विस्थापित होकर मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं।