क्या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ईरान परमाणु समझौते के विस्तार पर प्रस्ताव पारित कर पाएगी?

सारांश
Key Takeaways
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान परमाणु समझौते के विस्तार पर प्रस्ताव पारित करने में विफलता का सामना किया।
- चीन और रूस द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को चार देशों का समर्थन मिला।
- सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2231 विवाद समाधान प्रक्रिया पर आधारित है।
- ईरान पर प्रतिबंध फिर से लागू हो सकते हैं यदि समझौते की शर्तों का पालन नहीं होता है।
- कूटनीति की जटिलताएं वैश्विक राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
संयुक्त राष्ट्र, 27 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उस प्रस्ताव को पारित करने में असफलता का सामना किया, जिसमें ईरान के परमाणु समझौते (2015) को छह महीने और बढ़ाने का सुझाव दिया गया था। इसका उद्देश्य था कि कूटनीतिक प्रयासों के लिए और समय मिल सके।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, यह प्रस्ताव चीन और रूस द्वारा प्रस्तुत किया गया था। मतदान में चार देशों ने इसके पक्ष में, नौ देशों ने इसके खिलाफ और दो देशों ने तटस्थता दिखाई। प्रस्ताव को पास करने के लिए कम से कम नौ देशों का समर्थन आवश्यक था, जो प्राप्त नहीं हुआ।
यदि यह प्रस्ताव पारित हो जाता, तो ईरान और छह देशों (ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और अमेरिका) के बीच हुआ परमाणु समझौता छह महीने और बढ़ जाता। इसके साथ ही, सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2231 भी छह महीने के लिए आगे बढ़ जाता। इससे ईरान पर लागू संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध तुरंत वापस लागू नहीं होते।
हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। मतदान का परिणाम 19 सितंबर को हुए एक अन्य प्रस्ताव के समान था, जिसे दक्षिण कोरिया ने प्रस्तुत किया था। उस समय भी यही स्थिति उत्पन्न हुई थी और ईरान को प्रतिबंधों से कोई राहत नहीं मिल सकी थी।
अल्जीरिया, चीन, पाकिस्तान और रूस ने शुक्रवार के मसौदा प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। गुयाना और कोरिया गणराज्य ने मतदान में भाग नहीं लिया। सुरक्षा परिषद के अन्य नौ सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया।
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी का कहना है कि उन्होंने 28 अगस्त को सुरक्षा परिषद को सूचित करके “स्नैपबैक” प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है, क्योंकि ईरान समझौते की शर्तों का पालन नहीं कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 2231 के तहत, इस सूचना के 30 दिनों बाद, वे सभी प्रतिबंध अपने आप फिर से लागू हो जाते हैं जो इस प्रस्ताव के आने से पहले ईरान पर लगे थे।
हालांकि, इन तीन देशों के कदम की वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्होंने जेसीपीओए और रेजोल्यूशन 2231 में दिए गए विवाद समाधान तंत्र (डिस्प्यूट रेजोल्यूशन मैकेनिज्म) का पालन नहीं किया है। जेसीपीओए और रेजोल्यूशन 2231 के तहत, विवाद समाधान तंत्र को किसी भी असहमति को हल करने के लिए 35 दिन मिलते हैं। उसके बाद ही “स्नैपबैक” की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
प्रस्ताव 2231 की समयसीमा 18 अक्टूबर 2025 को समाप्त होगी। उसके बाद सुरक्षा परिषद ईरान परमाणु समझौते पर विचार करना बंद कर देगी।