क्या यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप' शामिल हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- मराठा मिलिट्री लैंडस्केप को यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया है।
- यह भारत की 44वीं संपत्ति है जो यह मान्यता प्राप्त कर रही है।
- किलों का यह समूह संरक्षण के अधीन है।
- इससे भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मान्यता मिली है।
- 18 महीने की प्रक्रिया के बाद यह निर्णय लिया गया।
नई दिल्ली, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। विश्व धरोहर समिति के 47वें सत्र में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए, भारत के आधिकारिक नामांकन के तहत 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप ऑफ इंडिया' को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यह भारत की 44वीं संपत्ति है जिसे यह महत्वपूर्ण मान्यता प्राप्त हुई है। यह वैश्विक सम्मान भारत की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, जो इसकी स्थापत्य कला, क्षेत्रीय पहचान और ऐतिहासिक निरंतरता की विविधता को उजागर करता है।
यह प्रस्ताव जनवरी 2024 में विश्व धरोहर समिति के समक्ष पेश किया गया था और 18 महीने की कड़ी प्रक्रिया के बाद, पेरिस में यूनेस्को मुख्यालय में समिति के सदस्यों ने इस पर निर्णय लिया। इस सूची में महाराष्ट्र और तमिलनाडु के कई महत्वपूर्ण किलों को शामिल किया गया है, जिनमें साल्हेर, शिवनेरी, लोहागढ़, खंडेरी, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग और सिंधुदुर्ग शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि की प्रशंसा की और देशवासियों को बधाई दी।
इन किलों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और महाराष्ट्र सरकार द्वारा संरक्षित किया गया है। यह किले न केवल भूगोल की जटिलता को दर्शाते हैं, बल्कि रणनीतिक रक्षा योजना की समझ को भी उजागर करते हैं।
साल्हेर, शिवनेरी, लोहागढ़, रायगढ़, राजगढ़ और जिंजी पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित हैं, जबकि विजयदुर्ग एक तटीय किला है। यह सभी मिलकर एक संगठित सैन्य परिदृश्य का निर्माण करते हैं।
समिति की बैठक में 20 में से 18 सदस्य देशों ने इस महत्वपूर्ण स्थल को सूची में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया। इस पर 59 मिनट तक चर्चा हुई, और अंततः सभी सदस्य देशों ने भारत के प्रतिनिधिमंडल को बधाई दी।