क्या अमेरिकी विदेश नीति राष्ट्रीय हितों पर आधारित है?
सारांश
Key Takeaways
- अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव हो रहा है।
- यह नीति राष्ट्रीय हितों पर आधारित होने जा रही है।
- रूबीओ ने संसाधनों की सीमितता पर चर्चा की।
- विदेशी मदद यूएस टैक्सपेयर का एक कार्य है।
- डिप्लोमेटिक जुड़ाव पर जोर दिया गया है।
वॉशिंगटन, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि अमेरिका की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा जा रहा है, जो स्पष्ट रूप से निर्धारित राष्ट्रीय हितों पर आधारित है।
रूबियो ने कहा कि विदेश नीति का मुख्य केंद्र यूनाइटेड स्टेट्स का राष्ट्रीय हित होना चाहिए।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें दुनिया भर की चिंताओं को अनदेखा करना चाहिए। रूबियो ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वैश्विक घटनाओं की चिंता करना आवश्यक है।
रूबियो ने बताया कि संसाधन सीमित हैं। इसलिए, अमेरिका और टैक्सपेयर का धन केवल अमेरिका की विदेश नीति को बढ़ावा देने में खर्च होना चाहिए। उनका मानना है कि हमने अपनी विदेश नीति में राष्ट्रीय हित की धारणा को खो दिया है।
रूबियो ने प्राथमिकता तय करने के महत्व पर जोर दिया। सीमित संसाधनों और समय का उपयोग प्राथमिकता तय करने की प्रक्रिया के माध्यम से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विदेशी सहायता, जो चैरिटी नहीं है, यूएस टैक्सपेयर का एक कर्तव्य है।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन ने रीजनल ब्यूरो को मजबूत किया है। कई मामलों में, वे ही प्रतिक्रिया का सुझाव दे रहे हैं और उसका नेतृत्व कर रहे हैं।
ट्रंप प्रशासन ने तर्क किया कि अमेरिकी विदेश नीति संस्थान एक अलग युग के लिए स्थापित किए गए थे और उन्हें पुनः जांचने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय हित पर जोर ने सहायता, गठबंधन और डिप्लोमेटिक जुड़ाव के निर्णयों को आकार दिया है, जिसमें इंडो-पैसिफिक, मिडिल ईस्ट और वेस्टर्न हेमिस्फेयर जैसे क्षेत्र शामिल हैं।