क्या वूंडेड नी नरसंहार ने अमेरिका के मूल निवासियों के संगठित सशस्त्र विरोध का मार्ग बंद कर दिया?
सारांश
Key Takeaways
- वूंडेड नी नरसंहार एक ऐतिहासिक घटना है जो अमेरिकी इतिहास में एक काले दिन के रूप में जानी जाती है।
- यह घटना मूल निवासियों के संगठित सशस्त्र प्रतिरोध को समाप्त करने का प्रतीक मानी जाती है।
- इस नरसंहार ने सत्ता और ताकत के असंतुलन को स्पष्ट किया।
- इतिहास से सीखना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसे अन्याय को रोका जा सके।
- 29 दिसंबर को आज भी एक महत्वपूर्ण तिथि है जो मानवाधिकारों की बहस का संदर्भ बनी हुई है।
नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कुछ तिथियाँ खुशियों का प्रतीक होती हैं, जबकि कुछ दुख का कारण बन जाती हैं। इतिहास की यह विशेषता है कि ये दोनों घटनाओं को सहेजकर आने वाली पीढ़ी को सोचने और समझने का अवसर प्रदान करते हैं। ऐसी ही एक तिथि है 29 दिसंबर। 1890 का वह दिन जो अमेरिकी इतिहास के सबसे दुखद और विवादित घटनाक्रमों में से एक के रूप में दर्ज है। इसी दिन अमेरिका के साउथ डकोटा राज्य के वूंडेड नी क्रीक के निकट अमेरिकी सेना और लकोटा सिउक्स जनजाति के मूल निवासियों के बीच एक हिंसक घटना हुई, जिसे इतिहास में “वूंडेड नी नरसंहार” कहा जाता है। यह कोई साधारण युद्ध नहीं था, बल्कि उन लोगों पर की गई सैन्य कार्रवाई थी जिन्होंने पहले से ही हथियार डाल दिए थे और आत्मसमर्पण की स्थिति में थे।
उस समय अमेरिकी सरकार की नीति थी कि मूल अमेरिकी जनजातियों को पश्चिमी क्षेत्रों में सीमित आरक्षित इलाकों में भेजा जाए। लकोटा जनजाति पहले से ही भूमि छिनने, भुखमरी और दमन का सामना कर रही थी। दिसंबर 1890 में अमेरिकी सेना को डर था कि लकोटा लोग “घोस्ट डांस” नामक धार्मिक आंदोलन के माध्यम से विद्रोह कर सकते हैं। इसी संदेह के आधार पर सेना ने वूंडेड नी क्रीक के पास लकोटा समुदाय को घेर लिया।
29 दिसंबर की सुबह जब हथियार जमा कराने की प्रक्रिया शुरू हुई, तब तनाव बढ़ गया और अचानक गोलियां चलने लगीं। इस हमले में अमेरिकी सैनिकों ने तोपूं और आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया। इस हमले में 250 से 300 लकोटा पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की मौतबर्फ में जमे हुए पाए गए। इतिहासकारों ने बताया कि वह मंजर खौफनाक था। अमेरिकी सेना के कुछ सैनिक भी मारे गए, लेकिन उनकी संख्या मूल निवासियों की तुलना में बहुत कम थी।
इतिहासकारों के अनुसार, वूंडेड नी नरसंहार को अक्सर अमेरिका में मूल निवासियों के संगठित सशस्त्र प्रतिरोध के अंत का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद मूल अमेरिकी जनजातियाँ सैन्य रूप से इतनी कमजोर हो गईं कि वे संघीय नीतियों का खुलकर विरोध नहीं कर सकीं। यह घटना आज भी अमेरिका में उपनिवेशवाद, नस्लीय भेदभाव और मानवाधिकारों पर चलने वाली बहस का महत्वपूर्ण संदर्भ बनी हुई है।
वूंडेड नी नरसंहार न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि सत्ता और ताकत के असंतुलन का सबसे बड़ा खामियाजा अक्सर निर्दोष और निहत्थे लोगों को भुगतना पड़ता है। यही कारण है कि 29 दिसंबर 1890 को आज भी अमेरिकी इतिहास के एक काले दिन के रूप में याद किया जाता है।