क्या 29 जून आंकड़ों की शक्ति और महालनोबिस के योगदान को मान्यता देने का दिन है?

सारांश
Key Takeaways
- 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है।
- प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने भारतीय सांख्यिकी में बड़ा योगदान दिया।
- सांख्यिकी केवल संख्या नहीं, बल्कि विकास का साधन है।
- हर वर्ष एक विशेष थीम के साथ इस दिन का आयोजन किया जाता है।
- एनएसएस आंकड़े इकट्ठा करने वाली प्रमुख संस्था है।
नई दिल्ली, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। 29 जून एक ऐसा दिन है जब हम आंकड़ों की शक्ति को पहचानते हैं और प्रशांत चंद्र महालनोबिस जैसे वैज्ञानिकों को याद करते हैं। भारतीय इतिहास के महान सांख्यिकीविद प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने डेटा आधारित नीतियों और विकास में अद्वितीय योगदान दिया है। इसी कारण, हर साल उनकी जयंती को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सांख्यिकी यानी आंकड़ों का अध्ययन है। यह दिवस इस बात को लोगों तक पहुंचाने का अवसर है कि आंकड़े केवल संख्याएं नहीं, बल्कि देश को आगे बढ़ाने का एक साधन हैं। 20वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में भारत में सांख्यिकी लगभग अज्ञात विषय था, लेकिन लगभग 40 साल पहले भारत में सांख्यिकी गतिविधियों में एक नई लहर आई, जिसे सांख्यिकी क्रांति कहा जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से भारत कुछ ही वर्षों में वैश्विक सांख्यिकी मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान बना।
प्रशांत चंद्र महालनोबिस को भारत में आधुनिक सांख्यिकी का जनक माना जाता है। उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की और एक विशेष तकनीक “महालनोबिस डिस्टेंस” विकसित की, जो आज भी विश्वभर में प्रचलित है।
प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को कलकत्ता के एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। कलकत्ता में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया और वहां से भौतिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनके शिक्षकों में जगदीश चंद्र बोस और प्रफुल्ल चंद्र रे जैसे प्रमुख वैज्ञानिक शामिल थे।
भारत में सांख्यिकी और आर्थिक योजना के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए, भारत सरकार ने 2007 में उनकी जयंती को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। तब से, हर साल 29 जून को विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाता है।
इस दिन देशभर में सेमिनार, जागरूकता अभियान, भाषण और प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। स्कूल, कॉलेज और सरकारी संस्थाएं लोगों को यह बताती हैं कि कैसे सही आंकड़ों के आधार पर बेहतर नीतियां तैयार की जाती हैं।
हर वर्ष सांख्यिकी दिवस की एक विशेष थीम होती है। 2025 की थीम “राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 75 साल” रखी गई है। इसका अर्थ है कि इस वर्ष राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। एनएसएस वो संस्था है, जो देशभर से आंकड़े (जैसे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि से संबंधित) एकत्र करती है ताकि सरकार सही निर्णय ले सके।