क्या 9 साल के कबीर ने जीता नेशनल अवार्ड और राष्ट्रपति से मुलाकात का अनुभव?

सारांश
Key Takeaways
- कबीर खंदारे ने अपनी मेहनत से नेशनल अवार्ड जीता।
- राष्ट्रपति से मुलाकात ने उन्हें प्रेरित किया।
- शूटिंग के दौरान परिवार का सहयोग महत्वपूर्ण था।
- कबीर ने कठिन परिस्थितियों में भी अपने रोल को निभाया।
- यह कहानी दिखाती है कि मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
पुणे, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में केवल बॉलीवुड सितारों का ही नहीं, बल्कि कुछ बाल कलाकारों का भी जलवा देखने को मिला। इन कलाकारों ने मेहनत के बल पर झोपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक का सफर तय किया है। उनमें से एक हैं कबीर खंदारे, जिन्हें मराठी फिल्म ‘जिप्सी’ के लिए बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का नेशनल अवॉर्ड प्राप्त हुआ है।
कबीर खंदारे ने अपनी भूमिका और राष्ट्रपति से मिलने के अनुभव के बारे में बताया, "मुझे बहुत अच्छा लगा, लेकिन मैं बहुत डरा हुआ था क्योंकि मेरे अंकल ने मुझे राष्ट्रपति जी से दूर रहने के लिए कहा था। जिस दिन अवार्ड मिला, उस दिन मैं उनसे दूर रहा, लेकिन उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और अपनी भाषा में कुछ कहा। यह मेरे लिए बहुत खास था।"
शूटिंग के दौरान कबीर ने बताया कि उनका किरदार एक गरीब बच्चे का था, जिसके पास न खाने के लिए अच्छा भोजन था और न ही पैरों में पहनने के लिए चप्पल। उन्होंने कहा, "शूटिंग के समय बहुत धूप थी, जिससे नंगे पैर चलना मुश्किल था। बारिश में भीगना भी एक चुनौती थी।"
कबीर खंदारे पहले भी कई शॉर्ट फिल्म, विज्ञापन, और डॉक्यूमेंट्री कर चुके हैं और कई पुरस्कार भी जीत चुके हैं। उन्होंने कहा, "मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा समर्थन किया। मेरे पापा मुझे शूटिंग पर लेकर जाते थे और स्कूल ने भी छुट्टी दी। यह सब बहुत मजेदार था और मुझे अच्छा लगता था क्योंकि लोग मुझे पहचानने लगे हैं।"
नौ साल का कबीर एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से है। उसने अपनी मेहनत से नेशनल अवॉर्ड जीता है। राष्ट्रपति भवन तक पहुंचना आसान नहीं होता, लेकिन अपनी लगन से कबीर ने छोटी उम्र में यह कर दिखाया।