क्या आस्था और विश्वास से ही बना संघ दुनिया का सबसे बड़ा संगठन?

सारांश
Key Takeaways
- आरएसएस की शताब्दी यात्रा पर डाक टिकट और सिक्के जारी किए गए हैं।
- राजनाथ सिंह ने संघ की विस्तार और प्रभाविता का उल्लेख किया।
- दीपावली मिलन कार्यक्रम में सामाजिक एकता को बढ़ावा दिया गया।
- योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के दीपोत्सव का महत्व बताया।
- राम मंदिर निर्माण में संघ के प्रयासों की चर्चा की गई।
लखनऊ, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दीपावली के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) लखनऊ महानगर द्वारा आयोजित कार्यकर्ता परिवार मिलन कार्यक्रम में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज आस्था और विश्वास की शक्ति से दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बन चुका है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं यहां प्रवेश करते हुए सोच रहा था कि किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि शताब्दी वर्ष में संघ दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बन जाएगा। भगवा रंग ही इसके प्रेरणा का प्रतीक है। मैं कभी-कभी सोचता हूं कि इतना बड़ा संगठन कैसे बना होगा। आस्था व विश्वास में बड़ी ताकत होती है। अगर गणित की समस्या आस्था व विश्वास के आधार पर हल हो सकती है तो मानव जीवन की समस्या इसके आधार पर कैसे सम्भव नहीं है? पूजनीय डॉ. हेडगेवार ने भगवा को ही अपना प्रेरणा स्रोत क्यों माना? क्योंकि शायद वे किसी व्यक्ति की प्रसिद्धि नहीं चाहते थे।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने संघ की शताब्दी यात्रा पर डाक टिकट व सिक्का जारी किया है। जब एक स्वयंसेवक ऐसे पदों पर होगा तो परिणाम ऐसे सुखद ही आएंगे। जब हम विदेश के दौरे पर जाते हैं और वहां संघ की विशालता की चर्चा होती है तो हम बताते हैं कि मैं रक्षा मंत्री बाद में पहले संघ का स्वयंसेवक हूं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संघ के द्वारा आयोजित इस दीपोत्सव परिवार मिलन के आयोजकों का हृदय से आभार व धन्यवाद देता हूं। उत्सव धीरे-धीरे परिवार तक ही सीमित होते जा रहे थे। हमारे इतिहास या युग विशेष को नई दिशा देने वाली घटनाओं को प्रतीक के रूप में हम आज पर्व रूप में मनाते हैं। पर्व व त्योहार तो हम सदैव मनाते रहते हैं, लेकिन यह परिवार मिलन दुर्लभ है। हमने ईद मिलन के कार्यक्रम तो देखे थे, लेकिन दीपावली मिलन पहली बार देख रहा हूं। पहले राजभवन व मुख्यमंत्री आवास पर ईद मिलन और इफ्तार पार्टियां ही होती थीं। प्रधानमंत्री के स्व के आह्वान के लिए समाज में एकता का होना जरूरी है। यह दीपावली मिलन परिवार व समाज की एकता को बढ़ाने का कार्य करेगा। एकता व उमंग का भाव हमें ऐसे कार्यक्रमों से देखने को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद हमने अपने प्रमुख सचिव को दीपोत्सव के अवसर पर अयोध्या के निरीक्षण का आदेश दिया, पता चला कि वहां अंधेरा छाया था। अगले वर्ष से सरकार ने अयोध्या के दीपोत्सव को मनाना शुरू किया। लोगों ने पूछा कि यह दीपोत्सव कराने से क्या होगा तो हमने कहा कि इससे संकल्प पूरा होगा। पहले तो डर भी लगता था कि कहीं लोग मंदिर निर्माण की मांग न कर दें, इसलिए पहले हमने गुलामी के नाम फैजाबाद को बदल कर अयोध्या किया। आगे परमात्मा की कृपा से राम मंदिर हमारे सामने है।
योगी ने कहा कि आप 25 नवंबर के बाद अयोध्या जाएंगे तो आपको मंदिर निर्माण में संघ परिवार व समाज का संघर्ष दिखाई पड़ेगा। हम आप सबसे आह्वान करते हैं कि धनतेरस पर स्वदेशी सामान ही खरीदें। साथ ही संकल्प लें कि दीपावली पर एक गरीब परिवार के घर मिठाई, दीया और लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा अवश्य पहुंचाएं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वांत रंजन ने कहा कि यहां उपस्थित हर किसी को बहुत-बहुत बधाई व बहुत-बहुत शुभकामनाएं। अपनी हिंदू संस्कृति प्राचीन काल से ही उत्सवधर्मी रही है। हर हफ्ते हम कई पर्व-त्योहार मनाते रहते हैं। भारतीय संस्कृति की जड़ें इन पर्वों से और मजबूत होती हैं।
राम मंदिर तीर्थ न्यास के महासचिव चंपत राय ने कहा कि समाज की ऐसी श्रद्धा है कि राम के वनगमन वापसी से समाज में आनंद मनाया गया। यह घटना कितनी पुरानी है, लेकिन आज भी प्रचलित व प्रासंगिक है। राम जन्मभूमि मंदिर बनने व स्थापना की सूचना मात्र से ही जनता में उत्साह भर गया। अब तक लगभग 6 करोड़ से अधिक लोग दर्शन कर चुके हैं। यह भारत के गौरव का विषय है। अपने अपमान का परिमार्जन समाज के निरंतर प्रयास से संभव होता है। विगत एक हजार सालों में शायद कोई ऐसा मंदिर इस क्षेत्र में नहीं बना होगा जिसमें लोहे का प्रयोग नहीं हुआ।
उन्होंने आगे कहा कि यह मंदिर सिर्फ दर्शन का मंदिर नहीं, बल्कि शिक्षा का मंदिर भी दिखेगा। मंदिर के चारों तरफ पंचायतन के दर्शन होंगे। राम के वनवास काल में सेवा व रक्षा करने वाले लक्ष्मण का मंदिर भी बनेगा। रामजी के सभी प्रमुख सहयोगियों का स्मारक बनाने को ध्यान में रखते हुए महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, शबरी, जटायु, अहिल्या, हनुमान, गिलहरी, तुलसीदास आदि के मंदिर बनाए जा रहे हैं।