क्या अग्न्याशय डायबिटीज़ और पाचन को नियंत्रित करता है?

सारांश
Key Takeaways
- अग्न्याशय पाचन और हॉर्मोन उत्पादन में महत्वपूर्ण है।
- यह डायबिटीज़ के नियंत्रण में सहायक है।
- अग्न्याशय को स्वस्थ रखने के लिए सही खान-पान आवश्यक है।
- योग और प्राणायाम से अग्न्याशय की कार्यक्षमता बढ़ती है।
- जंक फूड से दूर रहना अग्न्याशय के लिए फायदेमंद है।
नई दिल्ली, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हमारे शरीर में अनेक ऐसे अंग होते हैं जो हमारे सामने होते हैं और उनके कार्य हमें तुरंत समझ में आ जाते हैं, लेकिन कुछ अंग चुपचाप रहकर भी अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। उनमें से एक है अग्न्याशय।
आयुर्वेद के अनुसार, अग्न्याशय पाचन और जीवनशक्ति दोनों को नियंत्रित करता है। यह छोटा-सा अंग आमाशय के पीछे और छोटी आंत के निकट स्थित है और हमारे शरीर में इतनी बड़ी भूमिका निभाता है कि जानकर कोई भी चकित रह जाता है।
अग्न्याशय की विशेषता यह है कि यह दोहरी भूमिका निभाता है। यह एक एंडोक्राइन अंग के रूप में हॉर्मोन का निर्माण करता है और एक एक्सोक्राइन अंग के रूप में पाचन रस भी तैयार करता है। रोज़ाना लगभग डेढ़ लीटर पाचक रस बनाकर यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा को पचाने में सहायता करता है। इसके अलावा, अग्न्याशय इंसुलिन और ग्लूकागॉन हॉर्मोन बनाकर रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को नियंत्रित करता है। यही कारण है कि यह डायबिटीज़ से सीधे जुड़ा हुआ है। इसमें मौजूद बीटा सेल्स इंसुलिन का निर्माण करते हैं और जब ये कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो शरीर में इंसुलिन की कमी होने लगती है और डायबिटीज़ का खतरा बढ़ जाता है।
अग्न्याशय धीरे-धीरे कमजोर होता है और इसका प्रभाव देर से दिखाई देता है। गलत खान-पान, जंक फूड, तनाव, शराब और धूम्रपान जैसी आदतें इसके कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इतना ही नहीं, अग्न्याशय का कैंसर भी सबसे घातक बीमारियों में से एक माना जाता है, क्योंकि इसका पता प्रारंभिक अवस्था में लगाना बहुत कठिन होता है।
यह अंग छोटी आंत से सीधा जुड़ा होता है और इसके द्वारा बनाए गए एंजाइम भोजन को डुओडेनम में पचाने का कार्य करते हैं। अग्न्याशय इंसुलिन का कोई भंडार नहीं रखता, बल्कि हर बार भोजन के समय तुरंत इंसुलिन का उत्पादन करता है। यही वजह है कि इसे डायबिटीज़ के रोगियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। अग्न्याशय से बने पाचक रस गॉलब्लैडर से निकलने वाले पित्त के साथ मिलकर भोजन को तोड़ते हैं और एमाइलेज एंजाइम कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोज में परिवर्तित करके शरीर को तात्कालिक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
आयुर्वेद में अग्न्याशय को अग्नि के साथ जोड़ा गया है और कहा गया है कि जब अग्नि मजबूत होती है, तब शरीर स्वस्थ रहता है। यदि अग्न्याशय कमजोर हो जाए, तो मधुमेह, पाचन संबंधी रोग और अनेक अन्य विकार उत्पन्न हो सकते हैं। अग्न्याशय को स्वस्थ रखने के लिए तुलसी, नीम, गिलोय, मेथी, हल्दी, काली मिर्च, आंवला और करेला अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। इसके साथ ही योग, प्राणायाम और संतुलित जीवनशैली अग्न्याशय की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करती हैं। वहीं मिठाई और जंक फूड से दूर रहना भी जरूरी है, क्योंकि ये सीधे अग्न्याशय पर बोझ डालते हैं।