क्या अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए?

सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।
- अखिलेश यादव ने धांधली के आरोप लगाए।
- पुलिस की तैनाती जातिगत आधार पर की गई थी।
- समाजवादी पार्टी ने 18,000 शपथ पत्रों के साथ शिकायत की थी।
- आयोग की कार्रवाई पर संदेह व्यक्त किया गया।
नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव ने सोमवार को इंडिया ब्लॉक के सांसदों के साथ मिलकर संसद से चुनाव आयोग कार्यालय तक मार्च के दौरान चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने उत्तर प्रदेश के चुनावों के संदर्भ में आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं है जब चुनाव आयोग पर उंगलियां उठी हैं; इससे पहले भी इसकी आलोचना की जा चुकी है। उन्होंने पिछले उपचुनावों में धन के दुरुपयोग, सरकारी अधिकारियों के दुरुपयोग और वोट चोरी एवं धांधली की शिकायतों का उल्लेख किया।
सपा प्रमुख ने कहा कि आयोग को समाजवादी पार्टी की ओर से शिकायत भी की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अखिलेश यादव ने आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार और अधिकारियों की मिलीभगत से वोटों की डकैती की गई। उनके अनुसार, सपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं को बूथ पर पुलिस द्वारा रोका गया, और पुलिस की तैनाती जातिगत आधार पर की गई थी ताकि भारतीय जनता पार्टी को जिताया जा सके।
उन्होंने रामपुर उपचुनाव और सपा सांसद अवधेश प्रसाद के क्षेत्र में धांधली का आरोप लगाया। उनके अनुसार, 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के वोट काटे गए, और इसके खिलाफ 18,000 शपथ पत्रों के साथ शिकायत दर्ज की गई, लेकिन चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने यह भी मांग की कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, चाहे वह उत्तर प्रदेश हो, दिल्ली हो, या कर्नाटक, जहाँ कांग्रेस की सरकार है।
अखिलेश यादव ने कर्नाटक में कार्रवाई की संभावना जताई, लेकिन उत्तर प्रदेश में कार्रवाई पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं।
सपा ने पहले भी उपचुनावों में धांधली की शिकायतें की थीं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। पोस्ट में उन्होंने लिखा, “चुनाव आयोग पहले पिछले एफिडेविट का जवाब दे जब हमने 18 हज़ार वोट कटने पर, शपथपत्र दिए थे। चुनाव आयोग बताए उस मामले में क्या कार्रवाई हुई? चुनाव संबंधित मामलों और मसलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं, फास्टेस्ट ट्रैक कोर्ट की आवश्यकता है। यहां भी समयबद्ध कार्यवाही और कार्रवाई होनी चाहिए, तब ही लोकतंत्र बचेगा।“