क्या हार्ट अटैक अक्सर रात या सुबह-सुबह आता है? जानें कारण और बचाव

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क्या हार्ट अटैक अक्सर रात या सुबह-सुबह आता है? जानें कारण और बचाव

सारांश

क्या आपने कभी सोचा है कि हार्ट अटैक अक्सर रात या सुबह-सुबह ही क्यों आता है? यह जानना महत्वपूर्ण है कि तनाव के अलावा, हमारी जैविक घड़ी भी इस समस्या में भूमिका निभाती है। आइए जानते हैं इसके पीछे के कारण और इससे बचने के उपाय।

Key Takeaways

  • जैविक घड़ी का ध्यान रखें।
  • तनाव को कम करने के उपाय अपनाएं।
  • रात को भारी भोजन से बचें।
  • योग और ध्यान करें।
  • सामान्य लक्षणों को नजरअंदाज न करें।

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। क्या आपको पता है कि हार्ट अटैक अक्सर रात या सुबह-सुबह ही क्यों आता है? यह सवाल बहुत से लोगों के मन में घूमता है। कई लोग मानते हैं कि हार्ट अटैक का मुख्य कारण तनाव होता है, परंतु इसके पीछे हमारी जैविक घड़ी यानी सर्केडियन रिदम का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।

हमारी शरीर की जैविक घड़ी दिन-रात के अनुसार अंगों के कार्य को नियंत्रित करती है। रात के समय, विशेषकर 2 से 5 बजे के बीच, ब्लड प्रेशर और हृदय की धड़कनें सबसे धीमी होती हैं। यदि हृदय पहले से कमजोर है, तो इस समय थोड़ी सी कमी रक्त प्रवाह में दिल पर दबाव डाल सकती है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

सुबह-सुबह, शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे रक्त गाढ़ा हो जाता है और प्लेटलेट्स चिपकने लगते हैं। इससे ब्लड क्लॉट बनने का खतरा बढ़ जाता है।

कई लोगों को नींद के दौरान खर्राटे आते हैं और सांस लेने में रुकावट होती है, जिसे स्लीप एपनिया कहा जाता है। इससे ऑक्सीजन की कमी हो सकती है और दिल पर अचानक तनाव आ सकता है। रात में भारी या तला-भुना खाना खाने के बाद तुरंत लेटने से एसिड रिफ्लक्स और गैस हृदय पर दबाव डाल सकते हैं। इसके अलावा, दिनभर के तनाव और चिंता रात में भी खत्म नहीं होते, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और अनियमित धड़कनें हो सकती हैं।

यदि रात में सीने में भारीपन, बाईं बांह या जबड़े में दर्द, ठंडा पसीना, अचानक सांस फूलना या चक्कर जैसे लक्षण महसूस हों, तो इन्हें नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

आयुर्वेद में हृदय को सुरक्षित रखने के कई उपाय बताए गए हैं। रात को सोने से पहले गुनगुना पानी पीने से पाचन सुधरता है और हृदय पर दबाव कम होता है। अर्जुन की छाल का काढ़ा या चूर्ण दूध में उबालकर रोज़ पीने से हृदय की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और ब्लड फ्लो संतुलित रहता है। लहसुन खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है और धमनियों को साफ रखा जा सकता है। तुलसी और शहद का सेवन रक्त में ऑक्सीजन बढ़ाता है और हृदय की थकान घटाता है।

रात में 10 मिनट ध्यान या श्वास अभ्यास जैसे अनुलोम-विलोम और भ्रामरी करने से हृदय की गति स्थिर रहती है और मानसिक शांति मिलती है।

यदि अचानक सीने में भारीपन हो तो गुनगुना पानी या अजवाइन और काला नमक लें। घबराहट महसूस होने पर गहरी सांसें लें और शरीर को सीधा रखें।

इसके अतिरिक्त, हृदय को स्वस्थ रखने के लिए रोज़ हल्की सैर या योग करें, धूम्रपान और शराब से दूर रहें, नमक कम लें, तनाव कम करें और पर्याप्त नींद लें।

Point of View

मैं यह कहना चाहूंगा कि हार्ट अटैक की समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए। सही जानकारी और समय पर सावधानी बरतने से हम इस जानलेवा स्थिति से बच सकते हैं। हमारे शरीर की जैविक घड़ी को समझना और इसका ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
NationPress
26/10/2025

Frequently Asked Questions

हृदय के स्वास्थ्य के लिए क्या करें?
रोज़ हल्की सैर करें, योगाभ्यास करें, संतुलित आहार लें, धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
हार्ट अटैक के लक्षण क्या हैं?
सीने में भारीपन, बाईं बांह या जबड़े में दर्द, ठंडा पसीना, सांस फूलना, और चक्कर आना।
स्लीप एपनिया क्या है?
यह एक स्थिति है जिसमें नींद के दौरान सांस लेने में रुकावट आती है।
क्या आयुर्वेद से हृदय को सुरक्षित रखा जा सकता है?
हाँ, आयुर्वेद में हृदय के लिए कई उपाय बताए गए हैं जैसे अर्जुन की छाल का सेवन।
तनाव कम करने के क्या उपाय हैं?
योग, ध्यान, और उचित नींद लेने से तनाव कम किया जा सकता है।