केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभापति को चिट्ठी क्यों लिखी?
सारांश
Key Takeaways
- वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार का उत्सव।
- केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखा।
- विपक्षी सांसदों का राष्ट्रगीत गाने से इनकार।
- राजनीतिक दलों के व्यवहार पर चिंता।
- संसद में यह मामला और विवाद बढ़ा सकता है।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर केंद्र सरकार इसे एक उत्सव के रूप में मना रही है, लेकिन कुछ विपक्षी पार्टी के सांसदों द्वारा राष्ट्रगीत गाने से मना करने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है। इस संदर्भ में उन्होंने राज्यसभा के सभापति को एक पत्र लिखा है।
अमित शाह ने पत्र में 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ पर हुई चर्चाओं के दौरान उठे मुद्दों के संदर्भ में तथ्य प्रस्तुत किए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने पत्र में सभापति को सम्बोधित करते हुए लिखा कि मंगलवार को वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर राज्यसभा में हुई चर्चा के दौरान कुछ जनप्रतिनिधियों और राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों द्वारा इस राष्ट्रगीत के प्रति अस्वीकार्य व्यवहार का उल्लेख किया है।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने यह अनुरोध किया कि इन घटनाओं की प्रमाणित जानकारी सदन के पटल पर प्रस्तुत की जाए।
उन्होंने आगे कहा कि इस विषय में मैं कुछ तथ्य राज्यसभा सचिवालय को रिकॉर्ड के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं। ये घटनाएं सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं और इनमें संबंधित व्यक्तियों, वर्ष और विवरण का संक्षिप्त उल्लेख किया गया है।
अमित शाह ने कहा कि संबंधित घटनाओं का सार संलग्न दस्तावेज में प्रस्तुत किया गया है। मेरा विनम्र अनुरोध है कि सभापति इन तथ्यों को राज्यसभा के आधिकारिक अभिलेख में सम्मिलित करने की कृपा करें।
उन्होंने कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने 'वंदे मातरम' गाने से मना कर दिया और इसके पीछे धार्मिक आस्था का हवाला दिया।
इसके बाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद मेहदी ने संसद चर्चा के दौरान 'वंदे मातरम्' गाने से मना कर दिया और कहा, 'यह हमारे लिए संभव नहीं है।'
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने 2019 में लोकसभा शपथ के समय 'वंदे मातरम' न गाने का उल्लेख किया।
इसी तरह, सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने भी अपने दादा (शफीकुर्रहमान बर्क) के रुख का समर्थन किया।
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने भी 2019 में 'वंदे मातरम' गाने से मना किया, जिसके पीछे धार्मिक सिद्धांत बताया गया।
समाजवादी पार्टी ने स्कूलों में 'वंदे मातरम' को अनिवार्य करने वाले आदेश को रद्द करने की मांग की।
कांग्रेस नेता और वर्तमान में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2022 में संविधान दिवस कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं से 'वंदे मातरम' न गाने का आग्रह किया।