क्या एशिया कप ट्रॉफी विवाद पर आनंद दुबे का तंज सही है?

सारांश
Key Takeaways
- आनंद दुबे का पाकिस्तान पर कटाक्ष
- एशिया कप ट्रॉफी का विवाद
- बीसीसीआई की भूमिका
- यूनाइटेड नेशन से मदद की अपील
- प्रधानमंत्री मोदी की राजनीति पर सवाल
मुंबई, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। विवादित एशिया कप 2025 को भारतीय क्रिकेट टीम ने जीत लिया है। लेकिन, टीम इंडिया को अब तक ट्रॉफी नहीं मिली है। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने मंगलवार को पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पाकिस्तान एक गरीब और भिखारी देश है, जो हर चीज चुरा लेता है। वह एशिया कप ट्रॉफी को बेचकर बीसीसीआई को नकली ट्रॉफी सौंप सकता है।
आनंद दुबे ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "पूरे देश का मानना है कि वर्तमान में भारत को पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच नहीं खेलना चाहिए, क्योंकि हमारी बहनों का सिंदूर उजड़ा है और उनके आंसू अभी तक सूखे नहीं हैं। ऐसे में अगर हम उनके साथ मैच खेलेंगे तो देश को यह पसंद नहीं आएगा। इसीलिए, समस्त विपक्ष के साथ-साथ पूरा देश भी इस मैच का बहिष्कार करता है। लेकिन दुर्भाग्य से बीसीसीआई और आईसीसी में कुछ ऐसे लोग हैं, जिन्होंने उस मोहसिन नकवी को पसंद किया और क्रिकेट खेलने का कार्य किया। अंत में यह हुआ कि हम जीत तो गए, लेकिन वह हमारी ट्रॉफी लेकर भाग गया और उसे चुरा लिया।"
उन्होंने कहा, "हम इस मामले में यूनाइटेड नेशन का दखल चाहते हैं कि वह एसीसी के चेयरमैन पर दबाव डाले और हमें वह ट्रॉफी दिलवाए। कहीं ऐसा न हो कि वह उस ट्रॉफी को बेचकर हमारी बीसीसीआई को नकली ट्रॉफी दे दे। पाकिस्तान एक गरीब और भिखारी देश है। वह एक-एक चीज चुरा लेते हैं। उनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है। इसी कारण से हमें डर है कि वह हमारी ट्रॉफी को न बेच खाएं। हमारी दूसरी चिंता यह है कि इस मैच से पाकिस्तान को जो करोड़ों रुपए मिलेंगे, उस पैसे से वह आतंकियों को पैदा करेंगे। पाकिस्तान का जो कैप्टन है, उसने अपनी कमाई का हिस्सा आतंकवादियों के परिवार वालों को दे दिया। हम चाहते हैं कि पाकिस्तान को छोड़कर बाकी देशों के साथ मैच हों।"
प्रधानमंत्री मोदी के पोस्ट के संबंध में आनंद दुबे ने निशाना साधा। उन्होंने कहा, "पीएम मोदी हर चीज का राजनीतिकरण करना चाहते हैं। ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है। हमारी सेना पाकिस्तान में घुसकर उन्हें मारने की क्षमता रखती है और बलोचिस्तान को अलग करने एवं पीओके लेने की शक्ति रखती है। लेकिन दुर्भाग्यजनक है कि अचानक एक दिन सीजफायर की घोषणा हो जाती है और सरकार पता नहीं क्यों पूरी तरह बैकफुट पर चली जाती है। हम प्रधानमंत्री से कहना चाहेंगे कि राजनीति करने के कई सारे मौके मिलेंगे, लेकिन आपदा में अवसर नहीं ढूंढे। हमारी माताओं और बहनों के सिंदूर के साथ राजनीति नहीं करें। क्रिकेट मैच की जीत को सेना के शौर्य से न जोड़ें। क्रिकेट एक खेल है, जहां हार-जीत होती है। लेकिन सेना जब लड़ती है, तो वहां हार शब्द नहीं आता।