क्या आंध्र प्रदेश शराब घोटाले में ईडी ने कई राज्यों में छापे मारे?

सारांश
Key Takeaways
- आंध्र प्रदेश शराब घोटाले में ईडी की छापेमारी की गई।
- 4000 करोड़ रुपये का सरकारी खजाना नुकसान हुआ।
- फर्जी लेनदेन और रिश्वत का मामला सामने आया।
- विशेष जांच दल का गठन किया गया है।
- जांच में कई महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किये गए।
हैदराबाद, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हैदराबाद जोनल दफ्तर ने आंध्र प्रदेश शराब घोटाले के सिलसिले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत छापेहैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, तंजावुर, सूरत, रायपुर, दिल्ली एनसीआर और आंध्र प्रदेश के 20 स्थानों पर की गई। जांच का उद्देश्य उन संस्थाओं और व्यक्तियों के परिसरों की तलाशी लेना था, जो फर्जी और बढ़ा-चढ़ाकर किए गए लेनदेन के माध्यम से रिश्वत के भुगतान में मदद कर रहे थे।
ईडी ने सरकारी खजाने को 4000 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के आरोप में आईपीसी 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत आंध्र प्रदेश सीआईडी द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की। आंध्र प्रदेश सरकार ने इस वर्ष 5 फरवरी को मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि अक्टूबर 2019 से मार्च 2024 तक की 'नई शराब नीति' के तहत आरोपी व्यक्ति 'ब्रांड किलिंग और न्यू ब्रांड प्रमोशन' में शामिल रहे, जिसमें लोकप्रिय शराब ब्रांडों (जैसे मैकडॉवेल्स, रॉयल स्टैग, इंपीरियल ब्लू) को दरकिनार करना शामिल था।
आरोप है कि इन्होंने रिश्वत देने से इनकार किया और नए या नकली ब्रांडों को बढ़ावा देने के लिए डिस्टिलरी एवं आपूर्तिकर्ताओं से भारी भुगतान की मांग की। खरीद प्रणाली को स्वचालित से मैन्युअल में बदल दिया गया, जिससे ऑर्डर फॉर सप्लाई (ओएफएस) में हेरफेर की गुंजाइश बन गई।
एसआईटी ने आरोपपत्र दायर किए हैं, जिनमें स्वचालित प्रणाली को मैन्युअल अनुमोदन में बदलने, ब्रांड-वार इंडेंटिंग, और आपूर्तिकर्ताओं को रिश्वत देने के लिए मजबूर करने के आरोप शामिल हैं।
ईडी की जांच में यह भी पाया गया कि कुछ आरोपी जानबूझकर स्थापित ब्रांडों के लिए ऑर्डर देने से रोके रहे और डिस्टिलरीज पर अवैध भुगतान और रिश्वत की मांग की।
तलाशी अभियान के दौरान, फर्जी और बढ़ा-चढ़ाकर किए गए लेनदेन से संबंधित सामग्री बरामद की गई, जिसमें बेहिसाबी नकदी और फर्जी चालान शामिल थे।