क्या सीबीआई ने अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी मामले में 4 विदेशियों सहित 17 आरोपियों पर चार्जशीट दायर की?
सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने 4 विदेशी नागरिकों समेत 17 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की।
- यह मामला एक संगठित साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क से संबंधित है।
- कई राज्यों में हजारों लोगों को ठगा गया।
- 111 फर्जी कंपनियों का खुलासा हुआ।
- 1,000 करोड़ रुपए से अधिक के संदिग्ध लेन-देन की पहचान की गई।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 4 विदेशी नागरिकों समेत 17 आरोपियों और 58 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है।
सीबीआई के अनुसार, यह मामला गृह मंत्रालय के अधीन भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर दर्ज किया गया था। प्रारंभ में यह अलग-अलग ऑनलाइन ठगी की शिकायतें लग रही थीं, लेकिन गहन जांच से लोन ऐप, फर्जी निवेश योजनाएँ, पोंजी और एमएलएम स्कीम, पार्ट-टाइम नौकरी के झूठे ऑफर और धोखाधड़ी वाले ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के पीछे एक संगठित सिंडिकेट का पता चला।
जांच में पता चला कि साइबर अपराधियों ने गूगल विज्ञापनों, बल्क एसएमएस, एसआईए बॉक्स, क्लाउड सर्वर, फिनटेक प्लेटफॉर्म और सैकड़ों फर्जी बैंक खातों के माध्यम से एक जटिल डिजिटल ढांचा तैयार किया था। इससे उनका उद्देश्य पीड़ितों से धन एकत्रित कर उसे कई स्तरों में घुमाकर असली नियंत्रकों की पहचान छिपाना था।
जांच में सीबीआई को यह भी पता चला कि यह नेटवर्क देश के कई राज्यों में सक्रिय था और हजारों लोगों को ऑनलाइन ठगी का शिकार बना चुका था।
सीबीआई ने इस नेटवर्क की रीढ़ 111 शेल कंपनियों को बताया, जिनका निर्माण फर्जी निदेशकों, गलत दस्तावेजों और झूठे पते के आधार पर हुआ था। इन कंपनियों के माध्यम से विभिन्न पेमेंट गेटवे पर मर्चेंट अकाउंट खोले गए। जांच में 1,000 करोड़ रुपए से अधिक के संदिग्ध लेन-देन की पहचान की गई, जिसमें एक खाते में ही 152 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा हुई थी।
कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड और हरियाणा में 27 स्थानों पर तलाशी के दौरान डिजिटल उपकरण और महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए। फोरेंसिक जांच से यह भी स्पष्ट हुआ कि विदेशी नागरिक विदेश से पूरे नेटवर्क को नियंत्रित कर रहे थे।
सीबीआई ने चार विदेशी मास्टरमाइंड, उनके भारतीय सहयोगियों और 58 कंपनियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, जालसाजी और अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम, 2019 के तहत मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई ऑपरेशन चक्र-V के तहत साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों के खिलाफ सीबीआई की निरंतर मुहिम का एक हिस्सा है।