क्या युवाओं में हार्ट अटैक 'सडन डेथ' का बड़ा कारण है? एम्स के डॉ. सुधीर अरावा ने बताए तथ्य
सारांश
Key Takeaways
- कोविड-19 के बाद अचानक मौतों में वृद्धि पर अध्ययन किया गया।
- सडन डेथ की प्रतिशत दर पहले जैसी है।
- युवाओं में कोरोनरी आर्टरी डिजीज और हार्ट अटैक मुख्य कारण हैं।
- युवाओं की जीवनशैली में बदलाव समस्याओं का एक हिस्सा है।
- कोविड वैक्सीन के कारण मौतों का कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कोविड-19 के बाद युवाओं में अचानक मौतों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक अध्ययन किया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि युवाओं में हो रही अचानक मौतों के लिए कोविड वैक्सीन जिम्मेदार नहीं है। इस विषय पर पैथोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर अरावा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कई महत्वपूर्ण बातें साझा की।
डॉ. अरावा ने बताया कि यह सच है कि पिछले कुछ वर्षों में युवाओं में सडन डेथ यानी अचानक मौत के मामले बढ़े हैं। इसका सही कारण समझने के लिए एम्स ने एक अध्ययन शुरू किया था।
उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसा लगता है कि कोविड के बाद अचानक मौतें बहुत बढ़ गई हैं, लेकिन आंकड़ों के विश्लेषण से यह पता चला है कि सडन डेथ की प्रतिशत दर पहले के समान है। अर्थात, जितनी पहले होती थी, लगभग उतनी ही अब भी है। अध्ययन में यह भी सामने आया कि युवाओं में मौत का सबसे बड़ा कारण कोरोनरी आर्टरी डिजीज और हार्ट अटैक है।
डॉ. अरावा के अनुसार, युवाओं की जीवनशैली में बड़ा बदलाव आया है और यह समस्या मल्टी-फैक्टोरियल है, अर्थात इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। अध्ययन में जो जानकारी मिली, वह मुख्यतः 'वर्बल ऑटोप्सी' के आधार पर थी, जिसमें मृतक के करीबी लोगों और दोस्तों से जानकारी ली जाती है। ऐसे में किसी एक कारण पर पक्की राय देना कठिन हो जाता है।
उन्होंने बताया कि उपलब्ध डेटा से यह स्पष्ट हुआ है कि युवाओं में स्मोकिंग और शराब पीने की आदतें पहले की तुलना में बढ़ गई हैं और कई बार ये आदतें दस्तावेजित आंकड़ों से भी अधिक होती हैं। ये सभी कारक दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को बढ़ाते हैं।
कोविड वैक्सीन को लेकर उठ रहे सवालों पर डॉ. अरावा ने स्पष्ट किया कि इस पहलू पर भी पूरी जांच की गई थी। इसके लिए हमने पूरी हिस्ट्री, एग्जामिनेशन, और जो भी वैक्सीन से संबंधित जटिलताएं थीं, उनका पता लगाने की कोशिश की। रेडियोलॉजिकल और माइक्रोस्कोपिक एग्जामिनेशन भी किया गया, लेकिन ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला जिससे यह कहा जा सके कि वैक्सीन के कारण मौत हुई हो।
उन्होंने कहा कि बहुत ही कम, एक या दो प्रतिशत मामलों में कुछ हो सकता है, लेकिन अध्ययन में ऐसा कोई महत्वपूर्ण डेटा सामने नहीं आया।
वर्कआउट, एनर्जी ड्रिंक और सप्लीमेंट्स के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि संभव है इनका भी कोई रोल हो, लेकिन जब तक ठोस डेटा नहीं है, तब तक इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं है।