क्या आपदा पीड़ितों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं? अनुराग ठाकुर का बयान

सारांश
Key Takeaways
- अनुराग ठाकुर ने सरकार की आपदा प्रबंधन नीतियों की आलोचना की।
- भूस्खलन ने बिलासपुर जिले में करोड़ों का नुकसान किया।
- प्रशासन ने केवल 30 तिरपाल उपलब्ध कराए, जो अपर्याप्त हैं।
- ग्रामीणों के लिए पशु संरक्षण एक बड़ी चुनौती है।
- सरकार को तत्काल राहत और पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
बिलासपुर, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने श्री नैना देवी विधानसभा क्षेत्र के स्वारघाट में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करते हुए प्रदेश सरकार पर कड़ी आलोचना की।
उन्होंने सरकार की आपदा प्रबंधन नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि सरकार प्रभावितों को त्रिपाल जैसी बुनियादी सुविधा भी प्रदान नहीं कर पा रही है, तो यह अत्यंत दुखद है।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि बिलासपुर जिले में भूस्खलन से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है, जो सहन करने योग्य नहीं है।
उन्होंने प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल उठाया, यह कहते हुए कि आपदा के समय लोगों के घरों और जमीनों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास होना चाहिए, लेकिन जिला प्रशासन ने 50-60 प्रभावित परिवारों की जरूरत के बावजूद केवल 30 तिरपाल ही उपलब्ध कराए। एक त्रिपाल से न घर की सुरक्षा हो सकती है, न जमीन की, और न शौचालयों की। इस स्थिति में लोग अपने घर छोड़कर स्कूलों या रिश्तेदारों के यहां शरण लेने को मजबूर हैं। यह स्थिति बेहद दुखद है।
अनुराग ठाकुर ने प्रशासन की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रभावितों को केवल एक-एक तिरपाल देकर प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया। हर परिवार के लिए एक तिरपाल घरों की सुरक्षा कैसे कर सकता है?
सांसद ने ग्रामीण क्षेत्रों में पालतू पशुओं के रखरखाव की समस्या को भी उठाया। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के लिए अपने पशुओं को सुरक्षित रखना और उनके लिए चारे-पानी की व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती है। सरकार और जिला प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।
अनुराग ठाकुर ने स्थानीय विधायक रणधीर शर्मा के साथ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और अधिकारियों को निर्देश दिए कि जहां अधिक नुकसान हुआ है, वहां हर संभव सहायता प्रदान की जाए।
उन्होंने सरकार से मांग की कि आपदा प्रभावितों को तत्काल राहत और पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। इस आपदा के समय सरकार और प्रशासन को संवेदनशीलता के साथ कार्य करना चाहिए ताकि प्रभावित परिवारों को समय पर सहायता मिल सके और उनकी मुश्किलें कम हो सकें।