क्या सिद्धारमैया सरकार वामपंथी और तुगलकी शासन है? : विपक्ष के नेता आर. अशोक

सारांश
Key Takeaways
- सिद्धारमैया सरकार पर आर. अशोक का तीखा हमला
- जाति गणना को लेकर उठे सवाल
- वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप
- सर्वेक्षकों पर हमले और दुर्घटनाओं की बढ़ती खबरें
- हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी
हासन, 20 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार पर विरोधी दल के नेता आर. अशोक ने सोमवार को तीखा वार किया।
उन्होंने राज्यव्यापी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक जनगणना (जाति गणना) को लेकर कांग्रेस सरकार की कड़ी आलोचना की, इसे वामपंथी और तुगलकी शासन का प्रतीक बताते हुए कहा कि जनता इसका कड़ा विरोध कर रही है।
अशोक ने कहा कि यह सर्वेक्षण राजनीतिक रूप से प्रेरित है और समाज में विभाजन पैदा करने का षड्यंत्र है।
उन्होंने कहा, "सिद्धारमैया सरकार एक वामपंथी सरकार है, तुगलकी शासन है। सरकार को सर्वेक्षण कराने का कोई अधिकार नहीं है, यह केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है। दशहरा बीत गया, त्योहार आ गए, लेकिन स्कूल अभी तक शुरू नहीं हुए। तीन महीने बाद भी सर्वेक्षण पूरा नहीं हुआ। सिद्धारमैया बच्चों की तरह जिद्दी हैं और कहते हैं कि 15 दिनों में इसे पूरा कर देंगे। यह प्रशासन नहीं, बल्कि तुगलकी शासन है।"
उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए सवाल किया कि क्या सर्वेक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है? रोजाना खबरें आ रही हैं कि सर्वेक्षकों को कुत्तों ने काट लिया, आत्महत्या के मामले हुए और दुर्घटनाएं घटीं। समय पर काम न पूरा होने पर वेतन काटने की धमकी दी जा रही है। क्या यह गुंडागर्दी नहीं?
आर. अशोक ने खुद का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने सर्वे में केवल नाम, धर्म और जाति की सीमित जानकारी दी। अगर इससे ज्यादा जानकारी मांगी गई, तो मैं हस्ताक्षर नहीं करूंगा।
उन्होंने सुधा मूर्ति को धमकाने पर कांग्रेस की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, "सुधा मूर्ति को जानकारी न देने पर धमकाया जा रहा है। वह धार्मिक महिला हैं, जो लाखों का टैक्स देती हैं। बाढ़ पीड़ितों की मदद की।"
हाईकोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए अशोक ने कहा कि कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद सरकार ने अनदेखी की, जो न्यायपालिका का अपमान है।
उन्होंने वित्तीय कुप्रबंधन पर भी निशाना साधते हुए कहा, "पहले 165 करोड़ रुपए खर्च कर सर्वेक्षण के नतीजों को रद्द किया। अब 400 करोड़ रुपए फिर खर्च कर रहे हैं। यह जनता का पैसा है, जिसे बर्बाद किया जा रहा है।"