क्या असम हिज्ब-उल-मुजाहिदीन आतंकी साजिश मामले में मुख्य आरोपी को सजा मिली?
सारांश
Key Takeaways
- मुख्य आरोपी को उम्रकैद की सजा मिली।
- आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए एनआईए की कार्रवाई।
- तीन मामलों में आरोपी पर 5,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया।
- साजिश का उद्देश्य दहशत फैलाना था।
- अन्य आरोपियों ने अपने अपराध स्वीकार कर लिए हैं।
गुवाहाटी, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। असम में हिज्ब-उल-मुजाहिदीन से संबंधित एक आतंकी साजिश मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। गुवाहाटी की एनआईए की विशेष अदालत ने इस मामले के मुख्य आरोपी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। अदालत ने उसे विभिन्न मामलों में कठोर कारावास की सजाएं दी, जिसमें अधिकतम सजा उम्रकैद भी शामिल है।
दोषी करार दिया गया आरोपी मोहम्मद कमरुज जमान उर्फ डॉ. हुरैरा उर्फ कमरुद्दीन है। अदालत ने उसे तीन अलग-अलग मामलों में सजा सुनाई, जो एक साथ चलेंगी। इनमें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 18 के अंतर्गत उम्रकैद और पांच साल की साधारण कैद शामिल है।
अतिरिक्त रूप से, अदालत ने तीनों मामलों में आरोपी पर 5,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है। यदि वह जुर्माना चुकाने में असफल रहता है, तो उसे प्रत्येक मामले में तीन महीने की अतिरिक्त साधारण कैद भुगतनी होगी।
यह मामला एनआईए द्वारा दर्ज केस संख्या आरसी 08/2018/एनआईए-जीयूडब्ल्यू से संबंधित है, जो असम के होजाई जिले के जमुनामुख क्षेत्र से जुड़ा है। जांच में पता चला कि वर्ष 2017-18 के दौरान कमरुज जमान ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिज्ब-उल-मुजाहिदीन का असम में एक मॉड्यूल स्थापित करने की योजना बनाई थी। इसका उद्देश्य राज्य में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देकर लोगों में दहशत फैलाना था।
एनआईए की जांच के अनुसार, कमरुज जमान ने इस साजिश के अंतर्गत शाहनवाज आलम, सैदुल आलम, उमर फारूक और अन्य व्यक्तियों की भर्ती की थी। मार्च 2019 में एनआईए ने इस मामले में कुल पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
इनमें से शाहनवाज आलम, सैदुल आलम और उमर फारूक ने अपने अपराधों को स्वीकार कर लिया था, जिसके बाद उन्हें पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। वहीं, पांचवां आरोपी जयनाल उद्दीन मुकदमे के दौरान बीमारी के कारण निधन हो गया था।