क्या पंजाब पुलिस का 'युद्ध नशियां विरुद्ध' अभियान तेज हो रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- 304 दिनों में 42,480 नशा तस्करों की गिरफ्तारी।
- तीन-स्तरीय रणनीति: इन्फोर्समेंट, डी-एडिक्शन, प्रिवेंशन।
- जागरूकता अभियानों पर जोर।
- समाज की भागीदारी आवश्यक।
- नशे के खिलाफ निरंतर संघर्ष।
चंडीगढ़, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाब में नशे के खिलाफ चल रही जंग तेजी से आगे बढ़ रही है। भगवंत मान सरकार की 'युद्ध नशियां विरुद्ध' मुहिम के तहत पंजाब पुलिस ने 304वें दिन भी शक्ति से मोर्चा संभाला है। राज्यभर में लगातार रेड, सर्च ऑपरेशन और जागरूकता अभियानों के माध्यम से पुलिस न केवल नशा तस्करों पर शिकंजा कस रही है, बल्कि युवाओं को नशे से दूर रखने के प्रयास में भी जुटी है।
पंजाब पुलिस का कहना है कि यह लड़ाई केवल गिरफ्तारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि नशे की जड़ तक पहुंचने और पूरे ड्रग नेटवर्क को तोड़ने की है। इसी सोच के साथ 304वें दिन पंजाब पुलिस ने राज्यभर में 319 विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की। इन कार्यवाहियों में 82 एफआईआर दर्ज की गईं और 113 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस की यह कार्रवाई दर्शाती है कि अब नशे के सौदागरों के लिए पंजाब में कोई सुरक्षित स्थान नहीं बचा है।
यदि हम अब तक के आंकड़ों पर ध्यान दें, तो यह अभियान काफी प्रभावी साबित हुआ है। पिछले 304 दिनों में कुल 42,480 नशा तस्करों की गिरफ्तारी हो चुकी है। यह संख्या स्वयं में बताती है कि पंजाब पुलिस इस मिशन को कितनी गंभीरता से आगे बढ़ा रही है।
मान सरकार की इस मुहिम की विशेषता इसकी तीन-स्तरीय रणनीति है। पहला स्तर है इन्फोर्समेंट (सख्त कार्रवाई), रेड और गिरफ्तारी। दूसरा स्तर है डी-एडिक्शन, जिसके तहत नशे की लत में फंसे व्यक्तियों को इलाज और काउंसलिंग के माध्यम से सामान्य जीवन की ओर लौटाने का प्रयास किया जा रहा है। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण स्तर है प्रिवेंशन, यानी जागरूकता। स्कूलों, कॉलेजों, गांवों और मोहल्लों में लोगों को नशे के नुकसान बताने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि युवा इस दलदल में फंसने से पहले ही रुक जाएं।
पंजाब पुलिस का कहना है कि यह लड़ाई केवल पुलिस की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है। जब तक आम लोग, परिवार और युवा साथ नहीं आएंगे, तब तक नशे के खिलाफ पूर्ण विजय संभव नहीं है। इसी कारण जागरूकता अभियानों पर उतना ही जोर दिया जा रहा है जितना कि कार्रवाई पर।