क्या भोजन को स्वादिष्ट और सेहत का खास ख्याल रखता है <b>सुपरफूड सरसों का तेल</b>?
सारांश
Key Takeaways
- सरसों का तेल भारतीय रसोई का एक महत्वपूर्ण घटक है।
- यह हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
- इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं।
- उच्च तापमान पर भी यह हानिकारक ट्रांस फैट्स में नहीं बदलता।
- इसे घी या तिल के तेल के साथ मिलाकर उपयोग करना चाहिए।
नई दिल्ली, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सरसों का तेल भारतीय रसोई का एक अनिवार्य तत्व है, लेकिन कई लोग इसे पुराना समझकर अनदेखा कर देते हैं। सरसों का तेल न केवल भोजन को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। आयुर्वेद में सरसों के तेल का महत्वपूर्ण स्थान है।
हाल की कई शोध दर्शाती हैं कि सरसों का तेल स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है और कई मामलों में जैतून के तेल को भी चुनौती देता है। न्यूट्रिशनिस्ट पूजा मखीजा सरसों के तेल के फायदों के बारे में बताते हुए इसे दैनिक आहार में शामिल करने की सलाह देती हैं। पूजा के अनुसार, सरसों का तेल हृदय स्वास्थ्य को सुधारने, एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करने और शरीर में सूजन को नियंत्रित करने में सहायक साबित होता है।
इस तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड की अच्छी मात्रा होती है, जिसे अल्फा-लिनोलेनिक एसिड कहा जाता है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और सूजन को कम करता है, जिससे दिल की समस्याओं का खतरा कम होता है। सरसों के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स का अनुपात हृदय के लिए फायदेमंद होता है। ये अच्छे फैट्स खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखते हैं और दिल को मजबूत बनाते हैं।
सरसों के तेल में एलिल आइसोथियोसाइनेट एक विशेष यौगिक है, जो प्राकृतिक रूप से बैक्टीरिया और फंगस से लड़ता है, शरीर को डिटॉक्स करता है और कुछ मेटाबॉलिक बीमारियों से बचाव करता है। यह एंटीमाइक्रोबियल गुण इस तेल को खास बनाते हैं। सरसों के तेल का स्मोक पॉइंट बहुत ऊँचा होता है, लगभग 250 डिग्री सेल्सियस, इसलिए यह भारतीय पकवानों के लिए आदर्श है – चाहे वह डीप फ्राई करना हो या तड़का लगाना हो। उच्च तापमान पर भी यह हानिकारक ट्रांस फैट्स में नहीं बदलता, जैसा कि अन्य तेलों में हो सकता है।
सरसों का तेल ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का सही संतुलन प्रदान करता है, जो जैतून के तेल में कम होता है। यह भारतीय भोजन के लिए अधिक उपयुक्त है। नियमित रूप से संतुलित मात्रा में इसका उपयोग करने से हृदय स्वस्थ रहता है, सूजन कम होती है और इम्यूनिटी मजबूत होती है।
एक्सपर्ट सरसों के तेल के साथ उपयोगी सुझाव भी देते हैं। इसे घी या तिल के तेल के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से स्वाद संतुलित रहता है और सभी प्रकार के हेल्दी फैट्स मिलते हैं। इसके अलावा, सर्दियों में सरसों के तेल में आजवायन मिलाकर गर्म करके, विशेष रूप से पैरों की मालिश करने से ऊर्जा मिलती है और दर्द में राहत मिलती है।