क्या प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या में शिखर पर ध्वज फहराएंगे?
सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी का ध्वजारोहण एक ऐतिहासिक क्षण होगा।
- इस कार्यक्रम में प्रमुख हस्तियां शामिल होंगी।
- सुरक्षा के अभेद्य इंतजाम किए गए हैं।
- यह आयोजन रामभक्तों की आस्था का प्रतीक है।
- मंदिर के शिखर पर फहराते ध्वज का महत्व है।
अयोध्या, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भव्य निर्माण की प्रक्रिया के बाद, 25 नवंबर को एक और महत्वपूर्ण घटना घटित होने जा रही है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वजारोहण करेंगे। इस समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहेंगे। यह क्षण मंदिर की पूर्णता का संदेश विश्वभर में प्रसारित करेगा और सदियों से रामभक्तों की आस्था और संघर्ष का प्रतीक बनेगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि ध्वजारोहण के साथ ही मंदिर निर्माण यात्रा का एक महत्वपूर्ण चरण समाप्त होगा। यह आयोजन हर रामभक्त के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगा। इस भव्य समारोह में पूर्वी उत्तर प्रदेश, अयोध्या मंडल एवं आस-पास के क्षेत्रों से लगभग छह हजार विशिष्ट मेहमान शामिल होंगे। सभी मेहमानों को 24 नवंबर को अयोध्या पहुंचने का अनुरोध किया गया है, ताकि किसी प्रकार की भीड़ या असुविधा न हो। प्रवेश के लिए सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है, जिसके लिए सभी को अधिकृत पास दिए जाएंगे।
ध्वजारोहण कार्यक्रम दोपहर लगभग दो बजे तक चलेगा। सुरक्षा कारणों से आधार कार्ड लाना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, कोई भी व्यक्ति लाइसेंसी रिवॉल्वर या किसी भी प्रकार का हथियार लेकर मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं कर सकेगा।
महासचिव चंपत राय ने अपील की है कि सभी मेहमान समारोह में बिना किसी हथियार के आएं। प्रशासन और ट्रस्ट ने इस बार भीड़ और असुविधा से बचने के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां की हैं। ठहरने के लिए आश्रम, होम स्टे, बाग बिगेसी, कारसेवकपुरम आदि स्थानों पर लगभग तीन हजार लोगों के लिए ठोस व्यवस्था की गई है। शेष मेहमानों को अन्य सुरक्षित स्थलों पर ठहराया जाएगा। मंदिर परिसर में बैठने की उचित व्यवस्था और सभी मेहमानों के लिए भोजन एवं पेयजल की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
समारोह के दौरान मेहमान रामलला के दर्शन करेंगे और कार्यक्रम के अंत में सभी को पवित्र प्रसाद वितरित किया जाएगा। यह प्रसाद रामलला की कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाएगा। यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अयोध्या के बदलते स्वरूप और राम मंदिर की भव्यता का वैश्विक प्रदर्शन भी है। प्रधानमंत्री द्वारा मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वजारोहण, यह दर्शाएगा कि सदियों की प्रतीक्षा के बाद रामलला अब अपने दिव्य और भव्य मंदिर में विराजमान हैं।
चंपत राय ने कहा कि यह ध्वजारोहण मंदिर निर्माण के अंतिम चरण की औपचारिक घोषणा जैसा होगा, जिसके बाद दुनिया को यह संदेश जाएगा कि मंदिर का स्वरूप अब पूर्णता की ओर बढ़ रहा है। कार्यक्रम को भव्य और त्रुटिहीन बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रशासन, पुलिस और ट्रस्ट लगातार तैयारियों में जुटे हैं। सुरक्षा के अभेद्य इंतजाम किए गए हैं। यातायात व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन, अतिथियों की सुरक्षा और सुविधाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। कुल मिलाकर 25 नवंबर का दिन अयोध्या के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होने वाला है। मंदिर के शिखर पर फहराते ध्वज और प्रधानमंत्री मोदी का यह ऐतिहासिक क्षण आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्मरणीय बन जाएगा।