क्या स्वस्थ रहने के लिए ‘माइंडफुल ईटिंग’ जरूरी है? आयुर्वेद क्या कहता है?
सारांश
Key Takeaways
- मोटापा केवल वजन बढ़ने की समस्या नहीं है, यह स्वास्थ्य पर असर डालता है।
- आयुर्वेद में मोटापा को स्थौल्य कहा गया है।
- माइंडफुल ईटिंग से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- प्राकृतिक औषधियां जैसे गिलोय और गुग्गुलु मोटापे को कम करने में सहायक हैं।
- संतुलित आहार और जीवनशैली से मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान समय में मोटापा केवल वजन बढ़ने की समस्या नहीं है, बल्कि यह समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली समस्या है। जब शरीर में वसा (फैट) अत्यधिक जमा हो जाती है, तो इसका प्रभाव हृदय की कार्यप्रणाली, पाचन तंत्र (मेटाबॉलिज्म) और शरीर की ऊर्जा या जीवनशक्ति (वाइटैलिटी) पर पड़ता है।
इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति जल्दी थकान महसूस करने लगता है, सुस्ती का अनुभव करता है, और धीरे-धीरे शुगर, ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
आयुर्वेद में मोटापे को स्थौल्य कहा गया है। यह तब होता है जब शरीर में कफ दोष बढ़ जाता है, जिससे शरीर भारी, ठंडा और सुस्त बन जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह असंतुलन हमारी गलत खान-पान की आदतों, अस्थिर दिनचर्या और मानसिक तनाव के कारण होता है। देर रात भोजन करना, तैलीय और मीठे पदार्थों का अधिक सेवन, शारीरिक गतिविधियों की कमी, और पर्याप्त नींद न लेना मोटापे के प्रमुख कारण माने जाते हैं।
आयुर्वेद यह नहीं कहता कि वजन कम करने के लिए भूखे रहें या सख्त डाइट अपनाएं। इसके बजाय, यह सिखाता है कि हमें अपने आहार और जीवनशैली में संतुलन लाना चाहिए। दिन की शुरुआत हल्के व्यायाम, योग या प्राणायाम से करना, भोजन में ताजे और हल्के खाद्य पदार्थ लेना, और रात को समय पर सोना शरीर को संतुलन में रखता है। इसके साथ ही, धीरे-धीरे खाना, ठीक से चबाना और मन लगाकर भोजन करना भी महत्वपूर्ण है। इसे ‘माइंडफुल ईटिंग’ कहा गया है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों में मोटापा कम करने के लिए कुछ प्राकृतिक औषधियां बताई गई हैं। इनमें गिलोय शरीर से विषैले तत्वों को निकालकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। वहीं, गुग्गुलु वसा को जलाने और पाचन को दुरुस्त करने में सहायक है। इसके अलावा, त्रिफला एक शक्तिशाली हर्बल संयोजन है, जो पाचन और डिटॉक्स दोनों में लाभकारी है।
आयुर्वेद मानता है कि शरीर और मन का संतुलन ही असली स्वास्थ्य है। जब हम अपनी आदतों को प्रकृति के अनुरूप बनाते हैं, तो न केवल हमारा वजन नियंत्रित होता है, बल्कि हम अंदर से ऊर्जावान, हल्के और प्रसन्न महसूस करते हैं।