क्या आजम खान की एसआईआर पर आपत्ति केवल समय की है?
सारांश
Key Takeaways
- संविधान का पालन आवश्यक है।
- समय की अनियमितताएं राजनीति में महत्वपूर्ण होती हैं।
- आजम खान ने धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया।
- स्थानीय पुलिस और अधिकारियों की ताकत बढ़ रही है।
- राजनीति में सत्य की पहचान जरूरी है।
रामपुर, 2 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने एसआईआर से जुड़ी बातचीत में कहा कि संवैधानिक दायित्वों का पालन होना आवश्यक है, लेकिन संविधान की गरिमा को भी बनाए रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि संविधान के साथ छेड़छाड़ की गई या उसका अनादर हुआ, तो देश में बिहार जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। लोग कुछ भी कहें, लेकिन बिहार की जनता सच्चाई जानती है, और देश के अन्य हिस्सों में भी यह समझा जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी की पहल ने पूरे घटनाक्रम से पर्दा उठाया है। चुनाव आयोग ने अपने रवैये में थोड़ी परिवर्तन किया है, लेकिन पूर्ण परिवर्तन की प्रतीक्षा है। बिहार में एसआईआर की समय-सारणी ठीक नहीं है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अभी डेढ़ वर्ष बाकी हैं, इसलिए वहाँ कोई विरोध नहीं है।
आजम खान ने बताया कि उनकी सदस्यता कई बार रद्द की गई है, लेकिन चुनाव आयोग ने कभी उन पर कोई कार्रवाई नहीं की। उनके राजनीतिक जीवन में कोई कार्रवाई नहीं हुई है और न ही उनके भाषणों पर कभी आपत्ति उठाई गई है। स्थानीय पुलिस और अधिकारी चुनाव आयोग से अधिक ताकतवर बन गए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कभी धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया। उन्होंने कुंभ कार्यक्रमों का आयोजन किया है। यदि कोई उनका दुश्मन है, तो वह केवल उनकी जान ले सकता है, उनके पास धन नहीं है। उन्होंने कोविड से लड़ाई भी लड़ी है और जीवित रहे हैं।