क्या बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ नेहरू का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है?: सोनिया गांधी
सारांश
Key Takeaways
- नेहरू के विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
- सामूहिक प्रतिरोध का आह्वान किया गया है।
- नेहरू की विरासत की रक्षा करना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करने और मिटाने के प्रयासों के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि यह एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उन सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बुनियादों को नष्ट करना है जिन पर हमारे राष्ट्र की स्थापना हुई है।
सोनिया गांधी ने कहा कि नेहरू पर हमले करने वाले समूह एक ऐसे विचारधारा का पालन करते हैं, जिसकी स्वतंत्रता आंदोलन या संविधान निर्माण में कोई भूमिका नहीं थी और जिसने नफरत को बढ़ावा दिया, जिससे महात्मा गांधी की हत्या भी हुई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये ताकतें एक कट्टरपंथी और सांप्रदायिक दृष्टिकोण को अपनाती हैं।
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ प्रतिष्ठान नेहरू को विकृत और अपमानित करने के लिए एक सुनियोजित अभियान चला रहा है, जिसका उद्देश्य उनकी बहुआयामी विरासत को ध्वस्त करना है।
सोनिया गांधी ने सामूहिक प्रतिरोध का आह्वान किया और सभी नागरिकों से खड़े होकर इस स्थिति का सामना करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नेहरू की विरासत की रक्षा करने का अर्थ केवल पुरानी यादों को ताजा करना नहीं है, बल्कि भारत के संवैधानिक दृष्टिकोण और तर्कसंगत विमर्श को पुनः प्राप्त करने की प्रतिबद्धता है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि द्वारा लॉन्च किया गया नेहरू की चुनिंदा कृतियों का डिजिटल संग्रह, 1903 से उनकी मृत्यु के दिन तक के 100 प्रकाशित खंडों तक खुली पहुंच प्रदान करता है।
सोनिया गांधी ने संदीप दीक्षित की पहल की सराहना की और इसे 'नेहरू को धोखे के जाल से बचाने' और तथ्य-आधारित जन-समझ को बढ़ावा देने का एक आवश्यक प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि ऐसी पहलें पूरे देश में होनी चाहिए।