भारत और रूस: क्या आतंकवाद से निपटने के लिए दोनों देश एकजुट हुए?
सारांश
Key Takeaways
- भारत और रूस ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की पुष्टि की।
- आतंकवाद पर ठोस कार्रवाई का आह्वान किया गया।
- संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता।
नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत और रूस के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों का आदान-प्रदान किया। इस अवसर पर दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और सामना करने पर सहमति जताई। दोनों पक्षों ने आतंकवाद, उग्रवाद, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध, धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और अवैध मादक पदार्थों की तस्करी जैसी सामान्य चुनौतियों और खतरों से निपटने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
दोनों नेताओं ने आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही और आतंकवादी वित्तपोषण नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों सहित सभी रूपों में आतंकवाद को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
उन्होंने 22 अप्रैल, 2025 को भारत में पहलगाम, जम्मू-कश्मीर और 22 मार्च, 2024 को रूस में मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की।
उन्होंने आतंकवाद के सभी आपराधिक और अनुचित कृत्यों की स्पष्ट निंदा की, चाहे वे किसी भी धार्मिक या वैचारिक बहाने से प्रेरित हों।
उन्होंने अलकायदा, आईएसआईएस/दाएश और उनके सहयोगियों सहित सभी संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया।
दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आधार पर छिपे एजेंडे और दोहरे मानदंडों के बिना आतंकवाद के खिलाफ एक समझौताहीन लड़ाई की आवश्यकता पर जोर दिया।
अंत में, उन्होंने आतंकवाद पर शून्य-सहिष्णुता की नीति और संयुक्त राष्ट्र की संरचना में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक कन्वेंशन को शीघ्र अंतिम रूप देने की आवश्यकता पर बल दिया।