क्या बंगाल में मेरी बेटी भी सुरक्षित नहीं है? कोलकाता रेप केस पर बोलीं अर्चना मजूमदार

सारांश
Key Takeaways
- अर्चना मजूमदार ने महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की।
- पुलिस की विफलता इस मामले को और जटिल बनाती है।
- बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं।
- राजनीतिक प्रभावशाली बलात्कारी सुरक्षित महसूस करते हैं।
- सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। कोलकाता में हुई रेप केस पर राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य अर्चना मजूमदार के बयान ने प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न की हैं। उन्होंने कहा कि वह बंगाल गई थीं, लेकिन कई प्रयासों के बावजूद वह पीड़िता से नहीं मिल पाईं।
सोमवार को समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस मामले में हमने स्वतः संज्ञान लिया है। आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नोडल अधिकारी से संपर्क के बावजूद मैं पीड़िता और उसके परिवार से नहीं मिल सकी। यदि पुलिस ने दावा किया कि उन्हें परिवार का ठिकाना नहीं पता तो यह पुलिस की विफलता है। पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है।
अर्चना ने कहा कि बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति पर उन्हें चिंता है। एक मां और मतदाता के रूप में, उन्हें लगता है कि पश्चिम बंगाल में उनकी बेटी भी सुरक्षित नहीं है।
उन्होंने बताया कि बंगाल में महिलाओं के खिलाफ लगातार हो रही घटनाएं बेहद परेशान करने वाली हैं। अपराधियों को शायद ही कभी सजा मिलती है। उन्होंने कहा कि मैंने घटनास्थल देखा, वह एक छोटा सा कमरा था और आस-पास लोग मौजूद थे, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। यह तब संभव है जब अपराधी खुद को सुरक्षित समझते हैं।
आयोग की सदस्य ने कहा कि जब बलात्कारी राजनीतिक रूप से प्रभावशाली होते हैं, तो कोई भी हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं करता। आज पश्चिम बंगाल के कॉलेजों की यही वास्तविकता है। सत्तारूढ़ पार्टी के नेता सभी क्षेत्रों में हावी हैं, जिससे अपराधियों को सजा नहीं मिलती।